अंतराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल ग्रेटर स्पॉटेड ईगल (कलजंगा) छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए हुए है। रूस में पाए जाने वाला यह पक्षी बाज प्रजाति का है। रूस की सर्दियों से बचने यह हिन्दुस्तान प्रवास पर आते है। इस पक्षी को पाटन ब्लॉक के ग्राम दैमार में देखा गया है। विश्व में इस प्रजाति के मात्र चार हजार जोड़े ही शेष बचे हैं।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिले के पाटन विकासखंड के ग्राम दैमार के आकाश में बाज प्रजाति के इस पक्षी को देखा गया। मृत जानवरों के शवों का भक्षण करते कलजंगा को देख ग्रामीण रोमांचित हो गए। क्षेत्र के तहसीलदार अनुभव शर्मा ने इस पक्षी को अपने कैमरे में कैद कर लिया। कलजंगा (ग्रेटर स्पॉटेड ईगल) आकाश में यहां प्राय: पाए जाने वालें मृतभक्षी चीलों को क्षेत्र से खदेड़ कर शवों पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास कर रहे थे। चील का समूह इनका सामना करने में सफल नहीं हो पा रहा था।
दैमार के पंछियों के लिए ग्रेटर स्पाटेड ईगल का पाया जाना अद्भुत घटना है। यह बहुत ही दुर्लभ पक्षी है जिसकी संख्या दुनिया भर में लगभग चार हजार जोड़ी ही है। बर्ड वाचिंग में रुचि रखने वाले पाटन तहसीलदार अनुभव शर्मा ने इसके संबंध में बताया कि सर्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी जब हिंदुस्तान आते हैं तो उन्हीं के साथ ही शिकारी पक्षी रेप्ट्रस भी पहुंच जाते हैं।
रेड लिस्ट में शामिल है यह पक्षी
तहसीलदार अनुभव शर्मा ने बताया कि दैमार में इस पक्षी का पाया जाना अद्भुत संयोग है, क्योंकि आईयूसीएन ने विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके इन पक्षियों की रेड श्रेणी में रखा है। चूंकि यह इलाका प्रवासी पक्षियों के सेंट्रल एशियन फ्लाईवे में आता है अतएव यह दुर्लभ घटना हुई और इस विलुप्तप्राय प्रजाति को दैमार में स्पॉट किया गया। इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) ने ग्रेटर स्पॉटेड ईगल को रेड लिस्ट में रखा है। मूल रूप से ये शिकारी पक्षी है और झीलों और तालाबों में खूबसूरती के साथ शिकार करता है। ये सांप, गिरगिट, चूहे जैसे जीवों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। सामान्यत: इस पक्षी की ऊंचाई 60 से 70 सेमी तक होती है। आकाश में उडऩे पर इसके पंख 160 सेमी से 180 सेमी तक खुल जाते हैं। इस पक्षी की कलाबाजी शानदार है और हवा में कुछ ही सेकेंड के भीतर कलाबाजी कर यह पानी में पहुंचकर अपने शिकार को कब्जे में ले सकता है। इसके ताकतवर चोंच मांस को चीरने में इसकी मदद करते हैं।
सर्दी के मौसम में आते हैं हिंदुस्तान
ग्रेटर स्पाटेड ईगल प्रवासी पक्षी है जो मूलत: साइबेरिया की रहवासी है। ठंडियों के मौसम में रूस के अत्याधिक ठंड से बचने वे अपना समय हिंदुस्तान में व्यतीत करते हैं। ये सामान्यत: शिकारी पक्षी है और अत्याधिक ऊंचाई से अपने शिकार पर नजर रखते है। बिजली की गति से ये आसमान से नीचे आकर शिकार को अपने नुकीले पंजों से भेद देते हैं। बाज जैसे शिकारी पक्षी भी डीलडौल में कम होने की वजह से ग्रेटर स्पाटेड ईगल का मुकाबला नहीं कर पाते और जब ये पक्षी किसी इलाके में पहुंचते हैं तो तुरंत ही इलाके में दीगर शिकारी पक्षियों के बीच अपनी बादशाहत कायम कर लेते हैं।