भूपेश बघेल के खिलाफ गलत तरीके से जमीन आवंटन के मामले का हुआ खात्मा, कोर्ट ने दी अनुमति

राज्य आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरों द्वारा भूपेश बघेल के खिलाफ लगभग दो वर्ष पूर्व दाखिल प्रकरण के खात्मा किए जाने की अनुमति विशेष अदालत ने दे दी है। पाटन के पूर्व विधायक व वर्तमान सांसद विजय बघेल की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में जांच उपरांत अपराध संबंधी किसी प्रकार के साक्ष्य नहीं मिलने का हवाला देते हुए जांच एजेंसी ने अदालत में प्रकरण के खात्मा का आवेदन दाखिल किया था। जिस पर विचार पश्चात विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू ने यह फैसला दिया।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। भिलाई विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के कार्यकाल के दौरान पाटन क्षेत्र के पूर्व विधायक व वर्तमान सीएम भूपेश बघेल पर गलत तरीके से प्लाट आवंटन कराए जाने का आरोप लगाया गया था। गरीब वर्ग के लिए आरक्षित 6 आवासीय प्लाट को एक बनाकर आवंटित किए जाने का आरोप था। कुल 12 प्लाट को दो समूह बनाकर भूपेश बघेल की मां बिंदेश्वरी बघेल व पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल के नाम आवंटित किए गए थे। इस आवंटन में विधायक व साडा के पदेन सदस्य भूपेश बघेल पर अपने पद का दुरोपयोग किए जाने का भी आरोप था। इस मामले की शिकायत पाटन के तत्काली विधायक व वर्तमान सांसद विजय बघेल ने आर्थिक अपराध व अन्वेषण ब्यूरों के समक्ष 22 जुलाई 2015 को की थी। शिकायत के आधार पर ईओडब्लू ने 2 मई 2017 को भूपेश बघेल के खिलाफ दफा 120 बी के साथ आर्थिक अपराध निवारण अधिनियम की धारा 13(1) डी, 13(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विचारण के लिए प्रकरणों को न्यायालय में समक्ष प्रस्तुत किया था।
प्रकरण विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू की अदालत में विचाराधीन था। इसी दरम्यान ईओडब्लू ने इस मामले में जांच के दौरान भूपेश बघेल के खिलाफ आर्थिक अपराध किए जाने के साक्ष्य नहीं मिलने की जानकारी न्यायालय को दी थी। वहीं यह प्रकरण न्यायालय में चलने योग्य नहीं होने का हवाला देते हुए प्रकरण का खात्मा किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इस खात्मा आवेदन पर शिकायतकर्ता पक्ष के अधिवक्ताओं ने आपत्ति दर्ज करते करते हुए विरोध किया था। शिकायतकर्ता ने अदालत का बताया कि आरोपी भूपेश बघेल के खिलाफ पद का दुरोपयोग कर लाभ प्राप्त करने के इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य है। जिन पर न्यायालय में विचार किया जा सकता है। वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार ने तर्क दिया कि साडा स्वतंत्र इकाई थी। जिसे प्लाट को किसी भी आकार में काट कर आवंटन करने का अधिकार प्राप्त है। भूपेश बघेल के परिवार के सदस्यों ने साडा द्वारा निर्धारत दर के अनुसार भुगतान कर प्लाट का आवंटन प्राप्त किया था। इस प्रकरण में कहीं भी यह दर्शित नहीं होता कि भूपेश बघेल ने पद का दुरोपयोग कर अनुचित तरीके से अपने परिजनों को आर्थिक लाभ पहुचाया है।
जानिए क्या कहा कोर्ट ने
फोर्थ नेशन (4TH NATION) को मिली जानकारी के अनुसार दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा है कि प्रकरण में आरोपीगणों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) डी व सहपठित धारा 13(2) के तत्व प्रकट नहीं होते है। जिससे यह साबित हो कि भूपेश बघेल ने अपनी पदीय हैसियत का दुरोपयोग करते हुए स्वंय अथवा अन्य के अभिलाभ के लिए विधि विरुद्ध साधनों के माध्यम से लाभ अर्जित किया हो। यदि मामले में 3000 वर्गफीट से अधिक जमीन के आवंटन में किसी नियम का उल्लंघन मान लिया जाए, तो भी यह उस आवंटन को अपास्त करने का एक विधिक आधार हो सकता है, न कि किसीा आपराधिक कार्रवाई के लिए कोई आधार निर्मित करता है। मामले में अनवेषण एजेंसी द्वारा संकलित साक्ष्य पर विचार करते हुए यह अदालत आरोपीगण के विरुद्ध आगे संज्ञान लिए जाने का कोई आधार नही पाती है। अत: जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत आत्मा प्रतिवेदन को स्वीकार करते हुए प्रकरण के खात्मा की अनुमति प्रदान करती है।
प्रार्थी पक्ष करेगा अपील
विशेष अदालत द्वारा दी गई प्रकरण के खात्मा की अनुमति के खिलाफ मामले के प्रार्थी पक्ष द्वारा उच्च अदालत में अपील किए जाने की जानकारी दी है। अधिवक्ता अशोक शर्मा ने फोर्थ नेशन (4TH NATION) को बताया कि इस निर्णय से छुब्ध होकर उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी। साथ ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की जाएगी। वहीं लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार ने कहा कि प्रकरण सारहीन आधार पर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। जिसके आधार पर अदालत ने इस प्रकरण के खात्मा की अनुमति प्रदान की है।

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