नई दिल्ली। लव जिहाद को लेकर जारी विवाद के बीच इलाहबाद हाइकोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि बालिग होने पर व्यक्ति अपनी इच्छा से और अपनी शर्तो पर जिंदगी जी सकता है।
यह टिप्पणी कोर्ट ने एटा जिले की एक युवती द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने पर की है। कोर्ट ने इस शादी को जायज ठहराते हुए उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को भी रद्द कर दिया। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने 18 दिसंबर को दिए एक फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता शिखा हाईस्कूल के प्रमाण पत्र के मुताबिक बालिग हो चुकी है। उसे अपनी इच्छा और शर्तों पर जीवन जीने का हक है। उसने अपने पति सलमान उर्फ करण के साथ जीवन जीने की इच्छा जताई है इसलिए वह आगे बढऩे को स्वतंत्र है।
बता दें कि एटा जिले की पुलिस कोतवाली देहात में 27 सितंबर 2020 को सलमान उर्फ करण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। एटा जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 7 दिसंबर 2020 के अपने आदेश में शिखा को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था। समिति ने 8 दिसंबर 2020 को शिखा को उसकी इच्छा के बगैर उसके मां-बाप को सौंप दिया। जिस पर हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले में हाइकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और बाल कल्याण समिति की कार्रवाई में कानूनी प्रावधानों के उपयोग में खामी देखे जाने की बात भी कही है। कोर्ट के निर्देश पर पेश शिखा ने बताया कि हाईस्कूल प्रमाण पत्र के मुताबिक उसकी जन्म तिथि 4 अक्टूबरए 1999 है और वह बालिग है।