आईआईटी भिलाई में सेंटर फॉर कल्चर, लैंग्वेज एंड ट्रेडिशन (CCLT) का उद्घाटन सोमवार को राज्यपाल रामेन डेका ने किया। यह केंद्र एक अंतःविषय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ की जनजातीय समुदायों, लुप्तप्राय भाषाओं और सांस्कृतिक धरोहरों पर शोध को बढ़ावा देना है।
राज्यपाल रामेन डेका ने इस अवसर पर कहा कि यह केंद्र छत्तीसगढ़ की भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलता, पारिस्थितिक ज्ञान और सामूहिक स्मृतियों को उजागर करेगा। यह केंद्र छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से एक नॉडल नॉलेज सेंटर के रूप में कार्य करेगा, जिसमें एक पुस्तकालय और आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एक एक्सटेंडेड रियलिटी संग्रहालय स्थापित किया जाएगा। यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और जनजातीय समुदायों की मौखिक परंपराओं का भंडार होगा।
राज्यपाल ने कहा कि भारत की गिनती विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में होती है। भारतीय दर्शन, कला और वास्तुकला की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं। आईआईटी भिलाई इस धरोहर को पुनः स्थापित करने के लिए शोध कर रहा है। इसके माध्यम से पारंपरिक कृषि तकनीकों के लाभों को प्रदर्शित करते हुए, ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल तकनीक से सशक्त बनाया जा रहा है।
कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियां
इस अवसर पर राज्यपाल ने दो रिपोर्ट्स का विमोचन किया:
- हेरिटेज एप्रिसिएशन ऑफ बारसुर – इतिहास, वास्तुकला और पर्यटन पर दृष्टिकोण।
- जीआई के माध्यम से आजीविका को बढ़ावा – छत्तीसगढ़ पर एक अध्ययन।
राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर छत्तीसगढ़ के जनजातीय हस्तशिल्प स्टॉल का भी अवलोकन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुभव प्रधान (CCLT के संयोजक) ने किया, जबकि आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश ने संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, संभागीय आयुक्त एसएन राठौर, कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी, एसपी जितेंद्र शुक्ला और बड़ी संख्या में छात्र एवं प्रोफेसर उपस्थित थे।