काठमांडू। कुख्यात अपराधी चार्ल्स शोभराज को 19 साल तक जेल में रहने के बाद शीर्ष अदालत के आदेश पर शुक्रवार को नेपाल के एक कारागार से रिहा कर दिया गया। भारतीय और वियतनामी माता-पिता के फ्रांसीसी मूल के बेटे शोभराज की रिहाई के संबंध में कागजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए उसे आव्रजन अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया। ‘बिकिनी किलर’ के नाम से कुख्यात सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज दुनिया के कई देशो में हत्याएं कर चुका शोभराज नेपाल में दो पर्यटकों की हत्या के मामले में सजा काट रहा था।
शोभराज रिहा क्यों किया गया? उसके अपराधों की लिस्ट कितनी लंबी है? क्या भारत में भी में इसने हत्याएं की हैं? इस सीरियल किलर को ‘बिकिनी किलर’ क्यों कहते हैं? हत्या के अलावा भी क्या किसी मामलें में इसका नाम आया है? जुर्म की दुनिया में शोभराज ने कैसे कदम रखा? शोभराज के अपराधों पर फिल्म जगत में क्या कुछ हुआ है? आइये जानते हैं…
चार्ल्स शोभराज का जन्म जापानी कब्जे वाले साइगॉन में अप्रैल 1944 में एक अविवाहित वियतनामी लड़की और एक भारतीय व्यापारी के घर हुआ था। उसके जन्मस्थान ने उसे फ्रांसीसी नागरिकता के योग्य बना दिया। शोभराज को उसकी मां के नए पति ने अपनाया लिया, जो फ्रांसीसी इंडोचाइना में तैनात एक फ्रांसीसी सेना के लेफ्टिनेंट थे। शोभराज ने अपने शुरुआती दिन परिवार के साथ दक्षिण पूर्व एशिया और फ्रांस के आसपास बिताए।
शोभराज की रिहाई के पीछे नेपाल का वरिष्ठ नागरिक अधिनियम है। इसका जिक्र फैसले में किया गया है। शोभराज के वकील लंबे समय से क्षमादान के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे। विभिन्न याचिकाओं में उन्होंने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2063 के खंड 12 (1) के प्रावधानों का हवाला देते हुए उसकी जेल की सजा में छूट की मांग की थी। जो उम्रदराज कैदियों की सजा में छूट की अनुमति देता है। शोभराज इस वक्त 78 साल का हो चुका है। यही अधिनियम उसकी रिहाई का बड़ा कारण बना है। इसके साथ ही नेपाल में फ्रांसीसी दूतावास ने भी शोभराज की सेहत को देखते हुए उसकी रिहाई के लिए नेपाल सरकार से संपर्क किया था।
शोभराज के वकील ने उसकी रिहाई पर कहा कि शोभराज पिछले बीस साल से जेल में है। वह नेपाल में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों की सजा अवधि को पूरा कर चुका है। यहां के कानून के मुताबिक 65 साल की उम्र से ज्यादा के कैदी का अगर व्यवहार अच्छा है तो उसकी सजा में 75 फीसदी तक की छूट दी जा सकती है।
1975 में अमेरिकी नागरिक कोनी जो बोरोनज़िच, 29 और उसकी कनाडाई प्रेमिका 26 वर्षीय लॉरेंट कैरिएर की हत्या का दोषी ठहराया गया था। 19 सितंबर, 2003 को गिरफ्तार शोभराज की आजीवन कारावास की सजा अगले साल 18 सितंबर को खत्म होनी थी। वह हत्या के आरोप में भक्तपुर के काठमांडू उपनगर की एक जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
शोभराज की रिहाई का आदेश भले ही नेपाली कोर्ट द्वारा दिया गया हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इसके पीछे नौ देशों की पुलिस पड़ी थी। उसने अपने अपराध का साम्राज्य किसी एक देश तक नहीं सीमित रखा। एक समय ऐसा भी ऐसा था कि जब उसका इंतजार भारत समेत नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, फ्रांस, ईरान, ग्रीस और तुर्किये समेत नौ देशों की पुलिस कर रही थी। रिपोर्ट्स कि मानें तो शोभराज को 20 से अधिक हत्याओं को अंजाम दिया।
उसने फ्रांस, भारत व नेपाल की जेलों में कई साल सजा काटी। एक वक्त शोभराज अपराध की दुनिया में ऐसा नाम था जिसकी चर्चा सड़क से लेकर सिनेमा तक होती थी।
चार्ल्स शोभराज और उसकी पत्नी चंतल 1970 में पुलिस से बचते और रास्ते में मिलने वाले लोगों को लूटते हुए मुंबई पहुंचे थे। मुंबई में चंतल ने एक बेटी को जन्म दिया। इसी दौरान शोभराज ने जुआ खेलना शुरू किया। और यही वो समय था जब शोभराज डकैती और ठगी से आगे बढ़ बिकिनी किलर के रूप में कुख्यात हुआ। वह विदेशी पर्यटकों का दोस्त बनकर उन्हें नशीली दवाइयां दे देता है। इसके बाद उनकी हत्या कर देता था। विदेशी महिलाएं उसका मुख्य शिकार बनतीं थी। माना जाता है कि इस दौरान भारत में उसने चार साल के भीतर करीब 24 लोगों की हत्या की।
1976 में वो भारत की गिरफ्त में आया। लेकिन 1986 में वो जेल से भागने में कामयाब रहा। दरअसल, शोभराज दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहा था। यहां उसने अपना जन्मदिन मनाने के बहाने सुरक्षा गार्डों को नशीली मिठाई खिला दी और जेल से भाग निकला। एक महीने बाद ही उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। 1997 में सजा पूरी होने पर वह फ्रांस चला गया।
पिता की मौत के बाद शोभराज की मां ने दूसरी शादी कर ली। इसी दौरान वह पेरिस की सड़कों से गाड़ियां चुराने लगा। 1963 में पेरिस में चोरी के मामले में उसने पोइसी जेल में अपनी सजा काटी।
इसी दौरान, शोभराज को जेलकर्मियों द्वारा अनैतिक विशेष रियायतें मिलीं। उसे अपनी कोठरी में किताबें रखने की अनुमति दी गई। लगभग उसी समय, वह जेल वालंटियर (स्वयंसेवक) फेलिक्स डी’स्कोग्ने से मिला। पैरोल मिलने के बाद, शोभराज डी’एस्कोग्ने के साथ चला गया और पेरिस के अंडरवर्ल्ड के बीच घूमने घुसपैठ बढ़ाने लगा। समय के साथ उसके अपराध बढ़ते गए।
शोभराज के अपराधों की कहानी ने सिनेमा और साहित्य जगत को भी अपनी ओर आकर्षित किया। उसके ऊपर कई किताबें और फिल्में बनीं। थॉमस थॉम्पसन की सर्पेन्टाइन (1979), रिचर्ड नेविल और जूली क्लार्क की द लाइफ एंड क्राइम्स ऑफ चार्ल्स शोभराज (1980) और नोएल बार्बर की “द बिकिनी मर्डर्स” शोभराज पर ही लिखी गईं।
2015 की हिंदी फिल्म ‘मैं और चार्ल्स’, जिसे प्रवाल रमन और सिज़्नूर नेटवर्क द्वारा निर्देशित किया गया था, कथित तौर पर नई दिल्ली में तिहाड़ जेल से शोभराज के भागने पर आधारित है। फिल्म में रणदीप हुड्डा, ऋचा चड्ढा, आदिल हुसैन, टिस्का चोपड़ा, और एलेक्स ओ’नेल प्रमुख भूमिकाओं में हैं। मिनी वेब सीरीज “द सर्पेंट’ भी शोभराज के ऊपर ही बनी थी। अप्रैल 2021 में नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होने से पहले बीबीसी द्वारा कमीशन की गई इस सिरीज को जनवरी 2021 में यूके में प्रसारित किया गया था। इसमें ताहर रहीम ने शोभराज की भूमिका निभाई थी।