झीरम घाटी हमला : छत्तीसगढ़ सरकार ने नए जांच आयोग का किया गठन, 6 माह के भीतर सौंपेगा जांच रिपोर्ट

रायपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी कांड को लेकर सरकार ने नए जांच आयोग का गठन कर दिया है। कल ही मुख्यमंत्री भपेश बघेल ने इस बात के संकेत दिए थे। पिछले दिनों झीरम घाटी घटना के लिए गठित किए गए आयोग ने मामले की जांच रिपोर्ट प्रदेश की राज्यपाल को सौंपी थी। जिस पर बघेल सरकार ने आपत्ति जताते हुए इसे परंपराओं के खिलाफ बताया था। सीएम बघेल ने भी इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। जिसके बाद अब बघेल सरकार ने नया जांच आयोग का गठन कर दिया है।

झीरम घाटी मामले में बघेल सरकार ने न्यायिक आयोग का पुर्नगठन किया है, इस जांच आयोग में दो नए सदस्य शामिल किए गए हैं, जो अब  पूरे मामले की तीन अतिरिक्त बिंदुओं पर नए सिरे से जांच करेंगे. नए आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री एवं सदस्य न्यायमूर्ति जी मिन्हाजुद्धीन, पूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय बिलासपुर को सदस्य बनाया गया है. 
आयोग अपनी जांच इस अधिसूचना की प्रकाशन की तारीख से 6 महीने के भीतर पूरी करेगा और उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा. जांच के दौरान तकनीकी विषय और बिन्दुओं पर आयोग किसी संस्था विशेषज्ञ की सहायता ले सकेगा. 
इन तीन अतिरिक्त बिंदुओं पर होगी जांच
क्या घटना के पश्चात् पीड़ितो को समुचित चिकित्सीय व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी थी ?
ऐसी घटनाओं की पुर्नावृत्ति को रोकने के लिये क्या समुचित कदम उठाये गये थे? 
अन्य बिन्दु माननीय आयोग या राज्य शासन के पारिस्थितिक आवश्यकतानुसार निर्धारित किया जाएगा।
यह था झीरम घाटी हमला
झीरम घाटी की घटना देश में अब तक सबसे बड़ा नक्सली हमला भी माना जाता है. 25 मई 2013 को हुई इस घटना में बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की हत्या कर दी थी। जिसमें दिग्गज नेता नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा विद्याचरण शुक्ल पर हमला हुआ था।  नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित अन्य कई नेता हमले में शहीद हो गए थे। जबकि विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया। इस घटना की जांच के लिए 28 मई 2013 को आयोग का गठन किया था।