नई दिल्ली। सरकार ने चीन के साथ हुए संघर्ष के बाद देश की सीमाओं से सटे दूसरे देशों के साथ निवेश और कारोबार की शर्तों को और कड़ा कर दिया है। इन देशों की कंपनियों या ऐसी कंपनियों जो इन देशों से किसी भी तरह जुड़ी हैं, उन्हें निवेश या कारोबार के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। देश की सरकारी तेल कंपनियों ने चीन की कंपनियों या फिर चीन से जुड़ी तेल कंपनियों से कच्चे तेल की खरीद रोक दी है। सूत्रों के हवाले से छपी ख़बर के मुताबिक सरकार के द्वारा देश की सीमाओं से लगने वाले दूसरे देशों के साथ कारोबार की शर्तों को कड़ा करने के बाद सरकारी तेल कंपनियो ने अपने इंपोर्ट टेंडर की शर्तों में नए प्रावधान जोड़ दिए हैं जिससे चीन की कंपनियों के साथ तेल की खऱीद पर रोक लग गई है। सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते से भारतीय तेल कंपनियों ने चीन की ट्रेडिंग कंपनियों जैसे CNOOC, Unipec, PetroChina को क्रूड इंपोर्ट टेंडर भेजने बंद कर दिए हैं। सरकारी तेल कंपनियों के पास देश की कुल रिफायनिंग क्षमता का 60 फीसदी हिस्सा है। ये कंपनियाँ अक्सर तेल की खरीद के लिए स्पॉट मार्केट की तरफ़ रुख करती हैं। वहीं चीन सीधे भारत को तेल का एक्सपोर्ट नहीं करता, हालांकि चीन की कंपनियाँ दुनिया भर में कच्चे तेल की ट्रेडिंग करती हैं। इसके साथ ही चीन की कंपनियाँ दुनिया भर के कई तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी रखती हैं।
वहीं एक और सूत्र ने कहा कि फिलहाल सरकारी कंपनियों की ज़रूरतें काफ़ी कम हैं। कोरोना संकट की वज़ह से मांग पर असर देखने को मिला है। ऐसे में नए नियमों का फिलहाल घरेलू कंपनियों पर असर देखने को नहीं मिल रहा है। हालांकि एक समय हमे इसका असर देखने को मिलेगा। लेकिन कंपनियाँ ज़्यादा बड़ी तस्वीर पर नज़र रख रही हैं और देश के हित को ज़्यादा प्राथमिकता देंगी।
6 दिन पहले चीनियों को हुआ था बड़ा नुक्सान
सऊदी अरब ने भी एक बड़ा झटका दिया है चीन को। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने चीन के साथ 10 अरब डॉलर के समझौत से पीछे हट गया है। यह समझौता रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स बनाने को लेकर हुआ था। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी ने तेल गिरती कीमतों की वज़ह से चीन के साथ हुई डील को टालने का फ़ैसला लिया है। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने अपने चीनी भागीदारों के साथ बातचीत के बाद चीन के पूर्वोत्तर प्रांत लिओनिंग में निवेश बंद करने का फ़ैसला किया। बता दें कि कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया भर के दोशों के लॉकडाउन लगाया था, जिसे पूरी दुनिया में आर्थिक गतिविधियाँ रूक गयी थी और इसका सीधा असर तेल की मांग पर भी गयी थी। लॉकडाउन की वज़ह से पूरी दुनिया में तेल की खपत कम हुई है। मांग कम होने से तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है। बता दें कि सऊदी की अर्थव्यवस्था मुख्यत: तेल पर ही आधारित है।