छत्तीसगढ़ में स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण: शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम

रायपुर, 15 जून 2025/
छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दूरगामी सुधार करते हुए स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उद्देश्यों के अनुरूप है। इसका उद्देश्य राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना, संसाधनों का समान और प्रभावी वितरण सुनिश्चित करना तथा छात्रों को समग्र विकास के अवसर उपलब्ध कराना है।

❖ शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं का समाधान

इस प्रक्रिया से पहले, राज्य के ग्रामीण अंचलों की कई प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षक विहीन या एकल शिक्षक प्रणाली पर आधारित थीं, जिससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। वहीं नगरीय क्षेत्रों में शिक्षक अपेक्षाकृत अधिक संख्या में पदस्थ थे।

  • 212 प्राथमिक और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं पूर्णतः शिक्षक विहीन थीं।
  • 6,872 प्राथमिक और 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं एकल शिक्षक पर निर्भर थीं।
  • 211 शालाएं ऐसी थीं, जिनमें छात्र नहीं थे परंतु शिक्षक पदस्थ थे।

इसके अतिरिक्त, जिन शालाओं की दर्ज संख्या बहुत कम थी और जिनकी दूरी अन्य स्कूलों से अधिक नहीं थी, उन्हें विलय (merger) के जरिए समायोजित किया गया।

❖ एकीकृत परिसर और शैक्षिक समन्वय

राज्य भर में 10,372 स्कूल परिसरों का एकीकरण किया गया, जिसमें प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूल तक एक ही परिसर में संचालित होंगे। इससे न केवल शाला त्याग दर (dropout rate) में कमी आएगी, बल्कि छात्रों को बार-बार स्कूल बदलने की आवश्यकता भी समाप्त होगी।

इस एकीकरण से छात्रों को मिलेंगे कई लाभ:

  • बड़ी कक्षाओं के छात्रों से छोटी कक्षाओं को मार्गदर्शन मिलेगा।
  • कंप्यूटर, लैब, खेल और सांस्कृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग।
  • प्रशासनिक व्यवस्था में मजबूती और पारदर्शिता।

❖ शिक्षक युक्तियुक्तकरण की बड़ी उपलब्धि

जिला, संभाग और राज्य स्तर पर शिक्षकों का पुनर्विन्यास एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया के तहत किया गया:

  • 13,793 शिक्षक जिला स्तर पर स्थानांतरित किए गए।
  • 863 शिक्षक संभाग स्तर पर और 105 शिक्षक राज्य स्तर पर युक्तियुक्त किए गए।

इसका परिणाम यह हुआ कि अब राज्य में कोई भी शिक्षक विहीन विद्यालय नहीं बचा है, और एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में 80% की कमी आ चुकी है।

❖ बेहतर छात्र-अध्यापक अनुपात

यद्यपि छत्तीसगढ़ का छात्र-अध्यापक अनुपात (PTR) पहले से ही राष्ट्रीय औसत से बेहतर था, फिर भी वितरण में असमानता थी। अब यह सुधार इस अनुपात को और अधिक समान और न्यायसंगत बनाएगा:

  • प्राथमिक स्तर पर PTR – 20 (राष्ट्रीय औसत – 29)
  • पूर्व माध्यमिक स्तर पर PTR – 18 (राष्ट्रीय औसत – 38)

❖ भविष्य की दिशा

छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक “बदलाव की शुरुआत” के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल शिक्षा का स्तर सुधरेगा, बल्कि प्रत्येक बच्चे को समग्र विकास का अवसर मिलेगा। यह पहल उपचारात्मक शिक्षण, स्कूल ड्रॉपआउट रोकथाम, और शैक्षिक संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण जैसे अनेक आयामों में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया कि कोई भी शिक्षक पद समाप्त नहीं किया जा रहा है और कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया गया है। यह पूरा अभियान शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और बेहतर आधारभूत संरचना प्रदान करने के लिए है।

यह सुधारात्मक कदम छत्तीसगढ़ को एक सशक्त, शिक्षित और प्रगतिशील राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा।

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