बस्तर में खेती और वनोपज को मिलेगा नया जीवन: किसानों की आय और रोजगार में आएगा जबरदस्त इजाफा

रायपुर, 17 जून 2025 — छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के पातररास गांव में केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर देश की पहली सरकारी रेडिएशन सुविधा युक्त आधुनिक कृषि व वनोपज संरक्षण केंद्र की स्थापना करने जा रही हैं। यह परियोजना प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के अंतर्गत बनाई जा रही है और इसकी कुल लागत लगभग ₹25 करोड़ है।

इस अभिनव पहल का उद्देश्य है खेती और वनों से मिलने वाली उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखना, जिससे किसानों और वनोपज संग्राहकों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिल सके।


🌾 उपज नहीं होगी बर्बाद, आय में होगा इजाफा

बस्तर क्षेत्र की पहचान इमली, महुआ, जंगली आम, देशी मसाले और मोटे अनाजों की उपज से है। लेकिन संरक्षण की उचित व्यवस्था नहीं होने से हर साल 7 से 20 प्रतिशत उपज खराब हो जाती है। अब यह नई सुविधा इस नुकसान को रोकने के लिए एक आधुनिक समाधान लेकर आ रही है।

इस केंद्र में होगा:

  • 1500 मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज
  • 1000 मीट्रिक टन का फ्रोजन स्टोरेज
  • 5 मिनी कोल्ड रूम
  • ब्लास्ट फ्रीजर
  • पैकिंग और राइपनिंग चैंबर
  • उन्नत रेडिएशन मशीन
  • 3 बड़े परिवहन ट्रक
  • 70 किलोवॉट का सोलर पावर सिस्टम

🔬 रेडिएशन तकनीक से टिकाऊ बनेंगे उत्पाद

बीआरआईटी (Bhabha Atomic Research Centre’s BRIT Unit) के सहयोग से यहां रेडिएशन तकनीक लगाई जाएगी, जिससे उपज लंबे समय तक खराब नहीं होगी, और उसे घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार तक ले जाना संभव होगा। इस प्रकार यह केंद्र सालाना 10,000 मीट्रिक टन से अधिक उपज को सुरक्षित रखने में सक्षम होगा।


🏢 सरकार खुद बना रही है मॉडल प्रोजेक्ट

अब तक इस तरह के प्रोजेक्ट अधिकतर निजी कंपनियों द्वारा संचालित किए गए थे, लेकिन यह पहली बार है जब सरकार खुद इस तरह की सुविधा आदिवासी क्षेत्र में स्थापित कर रही है। इसे जिला परियोजना आजीविका कॉलेज सोसायटी द्वारा संचालित किया जाएगा, जो आदिवासी युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण देने के लिए काम करती है।


💼 रोजगार और राजस्व में जबरदस्त वृद्धि की उम्मीद

यह परियोजना प्रतिवर्ष 8.5 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न कर सकती है। इसके चलते स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे और उन्हें अपने गांव में ही काम मिलेगा, जिससे ग्रामीण पलायन में कमी आएगी। यह पहल वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थिरता लाने में भी सहायक सिद्ध होगी।


🛒 बाजार भी तैयार, बनेगा ‘बस्तर ब्रांड’

प्रशासन ने रायपुर, विशाखापत्तनम और अन्य शहरों में बाजार नेटवर्क तैयार कर लिए हैं। साथ ही “बस्तर के नाम से एक विशेष ब्रांड” विकसित करने की योजना है, जिससे यहां के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सके।


🗣️ मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस परियोजना को आदिवासी समाज के भविष्य की नींव बताया। उन्होंने कहा:

“यह सिर्फ एक परियोजना नहीं है, यह हमारे वनोपज संग्राहकों और किसानों को उनका सम्मान और अधिकार दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल उपज बर्बाद होने से बचेगी, बल्कि बस्तर को एक नया आर्थिक मॉडल भी मिलेगा।”


📌 निष्कर्ष: नया बस्तर, नया भविष्य

यह परियोजना साबित करती है कि यदि नीति, तकनीक और समुदाय साथ आएं तो आदिवासी क्षेत्र की तस्वीर बदली जा सकती है। यह बस्तर मॉडल अब अन्य जनजातीय क्षेत्रों के लिए भी एक उदाहरण बनकर उभरेगा।

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