नई दिल्ली, 17 जून 2025 — केंद्र सरकार ने भारत की 16वीं जनगणना को लेकर आधिकारिक घोषणा कर दी है। यह जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी और इसमें एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कदम के तौर पर 1931 के बाद पहली बार देशव्यापी जातिगत गणना भी की जाएगी।
सरकार द्वारा जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के अंतर्गत अधिसूचना सोमवार (16 जून 2025) को भारत के राजपत्र (Gazette of India) में प्रकाशित की गई है।
📅 जनगणना की तारीखें और चरण
- पहला चरण (हाउस-लिस्टिंग और हाउसिंग एन्यूमरेशन): यह कार्य 2026 में शुरू होगा और कई महीनों तक चलेगा।
- दूसरा चरण (जनसंख्या गणना):
- भारत के अधिकांश हिस्सों में संदर्भ तिथि: 1 मार्च 2027
- हिमाचल, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे बर्फीले और दूरस्थ क्षेत्रों में संदर्भ तिथि: 1 अक्टूबर 2026
🧑🤝🧑 1931 के बाद पहली बार जातिगत गणना
इस बार की जनगणना में सबसे अहम बात यह है कि 1931 के बाद पहली बार पूरे देश में जातिगत आंकड़ों का संकलन किया जाएगा। इससे देश में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर गहरी बहस शुरू हो गई है।

जातिगत गणना के संभावित लाभ:
- सामाजिक न्याय से जुड़ी योजनाओं का सटीक लक्ष्य निर्धारण
- आरक्षण नीति के लिए ठोस आंकड़े
- हाशिये पर मौजूद समुदायों की पहचान और मदद
🗳️ राजनीतिक असर: सीटों के पुनर्निर्धारण पर बहस
जनगणना के इस चरण के बाद अगली सबसे बड़ी राजनीतिक चर्चा सीटों के परिसीमन (delimitation) को लेकर शुरू हो गई है। जनसंख्या आधारित आंकड़ों के आधार पर:
- लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्वितरण
- राज्यों के प्रतिनिधित्व में संभावित बदलाव
इन मुद्दों पर राजनीतिक दलों की राय बंटी हुई है।
📱 डिजिटल माध्यम से जनगणना
इस बार की जनगणना में डिजिटल टेक्नोलॉजी और मोबाइल एप्स का इस्तेमाल होगा, जिससे आंकड़ों का संग्रहण और विश्लेषण अधिक सटीक और तेज़ होगा।
🔍 जनगणना क्यों महत्वपूर्ण है?
जनगणना के आंकड़े सरकार की योजनाओं, नीतियों और संसाधनों के वितरण के लिए आधार बनते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, ग्रामीण विकास जैसी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन इन्हीं आंकड़ों पर निर्भर करता है।
📌 निष्कर्ष
भारत की 16वीं जनगणना सिर्फ जनसंख्या की गिनती नहीं होगी, बल्कि यह जाति, सामाजिक संरचना, आवास और संसाधनों की गहराई से जांच का कार्य करेगी। साथ ही, इसके परिणाम राजनीतिक संतुलन, चुनावी मानचित्र और नीति-निर्धारण को भी प्रभावित कर सकते हैं।
