रायपुर/बीजापुर, 15 मई 2025 –
छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कोरगोटालू पहाड़ियों में चलाए गए 21 दिवसीय बड़े नक्सल विरोधी अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की विशेष कैनाइन यूनिट की सदस्य, दो वर्षीय बेल्जियन शेफर्ड ‘रोलो’, मधुमक्खियों के हमले में शहीद हो गई। यह घटना 27 अप्रैल को उस समय हुई जब रोलो विस्फोटक और आईईडी खोजने के अभियान पर थी।
CRPF अधिकारियों के अनुसार, तलाशी अभियान के दौरान अचानक एक आक्रामक मधुमक्खियों के झुंड ने हमला कर दिया। हैंडलर्स ने रोलो को पॉलीथीन शीट से बचाने की कोशिश की, लेकिन मधुमक्खियाँ भीतर घुस गईं और रोलो को लगभग 200 बार डंक मारा। घबराकर वह सुरक्षा घेरे से बाहर निकल गई और और अधिक हमलों की चपेट में आ गई।

हालांकि उसे तत्काल उपचार देने और शीघ्र निकासी की कोशिश की गई, परन्तु चिकित्सालय पहुँचने से पहले ही रोलो ने दम तोड़ दिया। CRPF के पशु चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया।
रोलो की बहादुरी को सलाम
रोलो को अप्रैल 2024 में बेंगलुरु के पास तारालू स्थित CRPF के कैनाइन ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त कर नक्सल ऑपरेशन में तैनात किया गया था। अपनी छोटी सेवा अवधि में ही उसने कई महत्वपूर्ण अभियानों में योगदान दिया। CRPF महानिदेशक ने उसे मरणोपरांत प्रशस्ति पदक से सम्मानित किया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “रोलो एक सच्ची सैनिक थी। उसकी सेवा अमूल्य थी।”
यह कोरगोटालू क्षेत्र, जो छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना के मुलुगु जिलों के बीच स्थित है, कठिन भू-भाग, घने जंगल, वन्यजीव और छुपे हुए खतरे के कारण नक्सलियों का मजबूत गढ़ माना जाता है।
इस अभियान में 31 नक्सली ढेर, 18 जवान घायल हुए, जिनमें कुछ को गंभीर ब्लास्ट चोटें आईं और अंगविच्छेद की नौबत आ गई। लेकिन रोलो इस पूरे अभियान की अकेली ‘शहीद’ रही, जिसने अपनी जान देकर साथी जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित की।
रोलो की शहादत सिर्फ एक पशु की नहीं, बल्कि एक समर्पित योद्धा की है, जिसे राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।
