तमिलनाडु सरकार द्वारा बजट प्रचार सामग्री में रुपये (₹) के प्रतीक की जगह तमिल अक्षर “रू” का उपयोग करने पर विवाद खड़ा हो गया है। इस मुद्दे पर रुपये के प्रतीक के डिजाइनर डी. उदय कुमार ने प्रतिक्रिया दी है।
क्या है पूरा मामला?
तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने इस मुद्दे को उठाते हुए राज्य की डीएमके सरकार की आलोचना की और कहा कि उन्हें इस बात का ध्यान नहीं कि रुपये का प्रतीक एक तमिल व्यक्ति द्वारा डिजाइन किया गया था। उन्होंने इसे डीएमके की “मूर्खता” करार दिया।

इसके जवाब में डीएमके ने स्पष्ट किया कि वे रुपये के प्रतीक के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि तमिल भाषा को बढ़ावा देना चाहते हैं।
क्या बोले डिजाइनर उदय कुमार?
उदय कुमार, जिन्होंने 2009 में रुपये के प्रतीक को डिजाइन किया था और 2010 में इसे आधिकारिक रूप से अपनाया गया, ने कहा कि वह इस विवाद को अपमान के रूप में नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा—
“हर डिजाइन हमेशा सफल नहीं होता या सभी को पसंद नहीं आता। एक डिजाइनर को आलोचना का सामना करना पड़ता है और इससे सीखना चाहिए। मैं इसे अपनी मेहनत का अपमान नहीं मानता।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने सिर्फ सरल और प्रभावी डिजाइन बनाने का लक्ष्य रखा था और आज के विवाद की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
डीएमके से क्या है उनका संबंध?
भाजपा ने दावा किया कि उदय कुमार, जो पूर्व डीएमके विधायक एन. धर्मलिंगम के बेटे हैं, के डिजाइन को न पहचानना डीएमके की गलती है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कुमार ने इसे मात्र “संयोग” बताया और कहा कि उनके पिता की राजनीतिक पृष्ठभूमि का उनकी डिजाइन से कोई संबंध नहीं है।
रुपये के प्रतीक का इतिहास
उदय कुमार ने रुपये के प्रतीक को इस तरह डिजाइन किया कि यह देवनागरी “र” और रोमन “R” का मिश्रण हो, जिससे यह भारतीय संस्कृति से जुड़ा भी रहे और वैश्विक स्तर पर पहचान भी मिले।
निष्कर्ष
इस विवाद ने एक बार फिर तमिलनाडु में भाषा और पहचान की राजनीति को हवा दी है। रुपये के प्रतीक को लेकर छिड़ी यह बहस भाजपा और डीएमके के बीच चल रहे व्यापक टकराव का हिस्सा बन गई है।
