गरियाबंद: छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव 2024 की सरगर्मियां तेज हैं। दो चरणों का मतदान पूरा हो चुका है, और 23 फरवरी को तीसरे चरण के लिए वोटिंग होगी। इस बीच, एक अनोखा मामला गरियाबंद जिले से सामने आया, जहां पति-पत्नी अलग-अलग पंचायतों से सरपंच चुने गए।
कैसे हुआ ये चुनावी चमत्कार?
यह मामला मैनपुर ब्लॉक के मूड़ागांव और दाबरीगुड़ा गांव का है। हलमंत ध्रुवा को मूड़ागांव पंचायत का सरपंच चुना गया, जबकि उनकी पत्नी ललिता ध्रुवा पड़ोसी गांव दाबरीगुड़ा की सरपंच बनीं। खास बात यह है कि दोनों पिछले 25 साल से एक ही गांव में रहते हैं, फिर भी अलग-अलग पंचायतों से चुनाव लड़कर जीत हासिल कर ली।

क्या कहती है नियमावली?
हलमंत की पैतृक संपत्ति मूड़ागांव में है, इसलिए उन्होंने वहीं से चुनाव लड़ा। दूसरी ओर, दाबरीगुड़ा ललिता का मायका है, जहां वे पिछले 25 वर्षों से रह रही हैं। चुनाव अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह मामला पकड़ में नहीं आया, और जनता ने दोनों को सरपंच बना दिया।
क्या यह देश का पहला ऐसा मामला है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संभवतः देश का पहला मामला है जब पति-पत्नी अलग-अलग पंचायतों से सरपंच बने हैं। हालांकि, निर्वाचन आयोग और संबंधित अधिकारियों ने इस गड़बड़ी पर कोई कार्रवाई नहीं की।
जनता की राय:
स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों सरपंचों का चुनाव क्षेत्र में पहले से मजबूत पकड़ थी, इसलिए किसी ने आपत्ति नहीं जताई। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करती है या इसे जनता के फैसले के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
