जिसे पूजा जा रहा था, अब उसी को गिरफ्तार करने की मांग क्यों?

नई दिल्ली, 7 जून 2025 – मंगलवार की रात विराट कोहली भारतीय सोशल मीडिया के हीरो थे। 18 साल के लंबे इंतजार के बाद उनकी टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने पहली बार आईपीएल ट्रॉफी अपने नाम की, और पूरा देश कोहली के साथ इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रहा था। “किंग कोहली” के नाम से मशहूर इस क्रिकेट आइकन के लिए भारत रत्न की मांग तक उठी। लेकिन महज 36 घंटे के भीतर वही विराट कोहली सोशल मीडिया पर एक क्रिमिनल की तरह पेश किए जाने लगे—#ArrestKohli ट्रेंड करने लगा।

यह विवाद उस भयानक भगदड़ के बाद शुरू हुआ जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा घायल हुए। घटना बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर उस वक्त घटी, जब हजारों प्रशंसक RCB टीम की एक झलक पाने के लिए जमा हुए थे। इसी दौरान विराट कोहली और उनकी टीम के कुछ सदस्य स्टेडियम के अंदर टीम के जीत के जश्न में शामिल थे।


लेकिन सच्चाई क्या थी?

इस घटनाक्रम को जब तथ्यों की कसौटी पर परखा जाता है, तो पता चलता है कि विराट कोहली को बेवजह निशाना बनाया गया।

1. वह घटना की समयरेखा से बिल्कुल कटे थे

घटना बुधवार शाम हुई, जबकि कोहली और टीम का जश्न स्टेडियम के अंदर पहले से नियोजित था और किसी VIP एंट्री के जरिए किया गया था। भीड़ से उनका कोई सीधा संपर्क नहीं था।

2. कोहली की लंदन यात्रा पहले से तय थी

कोहली के परिवार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, उनकी लंदन यात्रा पहले से फिक्स थी। इसमें किसी इवेंट की वजह से कोई फेरबदल नहीं हुआ। किसी भी आधिकारिक रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि कोहली ने कार्यक्रम जल्दी करवाने का दबाव डाला।

3. घटना की जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रशासन और आयोजकों की थी

भीड़ नियंत्रण, सार्वजनिक सुरक्षा और लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होती है। विराट कोहली एक खिलाड़ी हैं, न कि आयोजक या सुरक्षा अधिकारी।

4. कोहली ने सार्वजनिक रूप से संवेदना जताई थी

घटना के अगले दिन विराट कोहली ने सोशल मीडिया पर गहरी संवेदना व्यक्त की। हालांकि कुछ लोगों को उनकी प्रतिक्रिया देर से लगी, लेकिन उनका संदेश शालीन और जिम्मेदार था।


विराट कोहली पर लगाए गए आरोप क्या थे?

कुछ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया कि:

  • विराट कोहली ने मौतों के बाद भी जश्न जारी रखा।
  • उन्होंने लंदन रवाना होने के लिए RCB की जीत का कार्यक्रम जल्दी आयोजित करवाया।
  • उन्होंने पीड़ितों के परिवारों से कोई संपर्क नहीं किया और संवेदना नहीं जताई।

इन आरोपों के आधार पर सोशल मीडिया पर एक बड़ा वर्ग कोहली को ‘निर्दयी’, ‘स्वार्थी’ और ‘देशविरोधी’ तक कहने लगा। हजारों पोस्ट्स में उनके गिरफ्ता मांग की गई। कुछ ने उन्हें AI-जेनरेटेड तस्वीरों में खून से सने बैकग्राउंड और जेल की सलाखों के पीछे दिखाया।

एक खिलाड़ी को ट्रोल कल्चर का शिकार बनाना कितना जायज?

सोशल मीडिया का यह दोहरा चेहरा डरावना है। मंगलवार तक विराट कोहली को “भारत रत्न” देने की मांग की जा रही थी, और शुक्रवार तक लोग उन्हें जेल भेजने की बात कर रहे थे। एक ही व्यक्ति को 48 घंटे में हीरो से विलेन बना देना बताता है कि डिजिटल ट्रोलिंग और भीड़ मानसिकता किस हद तक व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।

“चोकली” जैसे पुराने अपमानजनक शब्द भी फिर से उछाले गए, जिससे यह भी साफ हुआ कि कुछ आलोचक बस पुरानी नफरत निकालने का मौका ढूंढ रहे थे।


फैंस का समर्थन और सोशल मीडिया की वापसी लहर

जैसे ही #ArrestKohli ट्रेंड करने लगा, कुछ ही घंटों में फैंस ने जवाब में #WeLoveYouKohli चलाया, जो 1.5 लाख से ज्यादा पोस्ट्स तक पहुंच गया। इससे साबित हुआ कि विराट कोहली के पीछे एक बड़ा और वफादार फैनबेस खड़ा है, जो नफरत के तूफान में भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ता।


निष्कर्ष: आलोचना होनी चाहिए, लेकिन तथ्यों के साथ

विराट कोहली की लोकप्रियता केवल ट्रॉफी जीतने तक सीमित नहीं है। वह वर्षों से भारतीय क्रिकेट का चेहरा रहे हैं, और हर मुश्किल समय में मैदान में खड़े रहे हैं। लेकिन इस घटना में उन्हें बिना ठोस सबूतों के निशाना बनाना गलत है। उन्हें न्यायिक या प्रशासनिक जांच से पहले ही दोषी ठहरा देना न केवल अनुचित है बल्कि खतरनाक भी है।

वास्तविक सवाल प्रशासन, आयोजनकर्ताओं और भीड़ नियंत्रण के जिम्मेदारों से पूछे जाने चाहिए—ना कि उस खिलाड़ी से जिसने सिर्फ अपना खेल खेला और टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई।

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