छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के पूर्व अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी और अन्य के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। यह मामला कथित ‘भाई-भतीजावाद’ घोटाले से जुड़ा है, जिसमें राजनेताओं, PSC अधिकारियों और सार्वजनिक सेवकों के ‘अयोग्य’ परिवार के सदस्यों को कांग्रेस शासन के दौरान सरकारी नौकरियों में भर्ती किया गया था।
अधिकारियों के अनुसार, CGPSC के पूर्व अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी, इसके पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव और एक परीक्षा नियंत्रक पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटों, बेटियों, रिश्तेदारों और परिचितों को मेरिट सूची में ऊंचा स्थान दिलाने में मदद की, ताकि उनकी भर्ती डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी एसपी और अन्य पदों पर सुनिश्चित हो सके।
यह आरोप लगाया गया है कि 2022 की CGPSC परीक्षा में धांधली हुई, जिसके परिणाम 11 मई 2023 को घोषित किए गए थे। इस परीक्षा में कथित रूप से अंक बढ़ाने और चयन सूची में हेरफेर करने का काम किया गया, ताकि अपने परिवार के सदस्यों और परिचितों को लाभान्वित किया जा सके।
CBI ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और संबंधित आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की हेराफेरी न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करती है, बल्कि योग्य और मेहनती उम्मीदवारों के भविष्य को भी अंधकार में धकेल देती है।
इस मामले ने राज्य में शासन और प्रशासनिक ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता को उम्मीद है कि CBI की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी और दोषियों को सजा मिलेगी। इस घटना ने प्रशासनिक सेवाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता के महत्व को एक बार फिर से रेखांकित किया है। सरकार और संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और योग्य उम्मीदवारों को उनके हक का अवसर मिले।