“ओडिशा चुनावी दंगल: बीजेडी की सत्ता बरकरार या भाजपा की नई शुरुआत?”

ओडिशा उन राज्यों में शुमार है जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जा रहे हैं। पिछले 25 सालों से सत्ता में मौजूद बीजू जनता दल का प्रयास है कि छठी बार सरकार बना कर पिछले सभी राजनीतिक रिकॉर्ड तोड़ दिये जायें। लेकिन यह लक्ष्य आसान नहीं है क्योंकि भाजपा इस बार तगड़ी चुनौती पेश कर रही है। हम आपको याद दिला दें कि कुछ समय पहले तक भाजपा और बीजू जनता दल के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट थी। चुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सार्वजनिक मंचों पर एक दूसरे की तारीफ कर रहे थे उसको देखते हुए यह तय माना जा रहा था कि गठबंधन होकर रहेगा। कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी इस बात के संकेत दे दिये थे लेकिन भाजपा की ओडिशा इकाई के विरोध के चलते पार्टी आलाकमान गठबंधन नहीं कर पाया।

प्रभासाक्षी ने अपनी चुनावी यात्रा के दौरान पाया कि आज ओडिशा में स्थिति यह है कि भाजपा कई जगह बीजू जनता दल से आगे निकलती दिख रही है। हालांकि इसमें भाजपा से ज्यादा मोदी नाम का करिश्मा है। ओडिशा के लोगों को लगता है कि जिस तरह भाजपा के नेतृत्व वाली विभिन्न राज्य सरकारें अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं वैसा ही यहां भाजपा की सरकार बनने पर हो सकता है। ओडिशा के लोग कहते हैं कि यहां खनिज संसाधनों की भरमार है लेकिन राज्य में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है। लोग कहते हैं कि ओडिशा में गरीबी सिर्फ आम लोगों को जकड़े हुए है जबकि सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े लोग बेहद अमीर हो गये हैं। लोग कहते हैं कि लोकतंत्र में यह गलत है कि यहां सरकार को चुने हुए प्रतिनिधि नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से ताल्लुक रखने वाले अधिकारी चला रहे हैं।

लेकिन यहां एक बात और है कि ओडिशा के मुख्यमंत्री ने जिस तरह पिछले 25 सालों में बड़ी संख्या में लोगों को योजनाओं का लाभ दिया है उसके चलते एक बड़ा लाभार्थी वर्ग बना है जोकि हर हालत में बीजू जनता दल और नवीन पटनायक के साथ है। ओडिशा में बीजू जनता दल के अधिकांश समर्थक भी यह बात मान रहे हैं कि पार्टी के प्रति कुछ नाराजगी है लेकिन यह इतनी नहीं है कि सरकार चली जाये। बीजू जनता दल को लगता है कि भले पिछली बार से कुछ सीटें कम हो जायें लेकिन सरकार तो उसी की ही बनेगी। दरअसल इस बार नवीन पटनायक ने एक बड़ा वादा करते हुए कह दिया है कि यदि उपभोक्ता प्रति माह 200 यूनिट तक बिजली का उपभोग करते हैं तो जुलाई से उनका बिजली बिल नहीं आयेगा, यह वादा काफी असर करता दिख रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे एक बड़ा वादा मान रहे हैं। इसके अलावा आम जनता को भी लगता है कि नवीन पटनायक चूंकि 78 वर्ष के हो चुके हैं तो संभव है कि वह आखिरी बार चुनाव लड़ रहे हों इसलिए वह उनको एक बार और वोट देना चाहते हैं। लोगों का कहना है कि यहां भाजपा सरकार में आयेगी लेकिन 2029 में क्योंकि एक बार और हम नवीन बाबू को जिताना चाहते हैं।