महाराष्ट्र की सियासत : अजीत पवार के सरकार में शामिल होने से बढ़ी सीएम शिंदे की मुश्किलें, कुर्सी पर मंडराया खतरा

मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में राकांपा के अजीत पवार गुट के शामिल होने से नया प्रयोग होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। जिसका सीधा असर प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कुर्सी पर पड़ेगा। माना जा रहा है कि अजीत पवार के साथ आए विधायकों की संख्या अधिक होने पर एकनाथ शिंदे को यह पद गंवाना पड सकता है और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर एक बार फिर से देवेंद्र फडणवीस के काबिज होने के कयास लगाए जाने लगे हैं।

दरअसल राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कुछ समय से महाराष्ट्र के भीतर यह चर्चा हो रही थी कि जैसे ही अजीत पवार महाराष्ट्र सरकार में शामिल होंगे, उसके बाद कुछ और बड़े सियासी उलटफेर हो सकते हैं। भाजपा का मानना है कि राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के नेता देवेंद्र फड़णवीस को लोग बतौर मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। अब जब एनसीपी के अजीत पवार के नौ विधायक मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं तो इस बात के कयास और ज्यादा बढ़ गए हैं कि महाराष्ट्र की सियासत में अगले कुछ दिन सियासी रूप से और महत्वपूर्ण हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र में बीते कुछ समय से मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तो लगाई जा रही थी। यहां तक कि शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने भी मुख्यमंत्री बदले जाने का दावा किया था। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में मुख्यमंत्री बदले जाने और देवेंद्र फड़णवीस और एकनाथ शिंदे गुट के बीच चल रही कुर्सी की जंग के बारे में जिक्र भी किया था।

महाराष्ट्र में एनसीपी के नेता अजित पवार के सरकार में शामिल होने के बाद इस बात के कयास अब और ज्यादा लगाए जाने लगे हैं कि क्या महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री भी बदला जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ अजित पवार के आने से एकनाथ शिंदे गुट की ताकत कुछ कमजोर होगी। ऐसी दशा में भारतीय जनता पार्टी राज्य में सत्ता के पावर बैलेंस करने के लिए सिर्फ एकनाथ शिंदे गुट पर निर्भर नहीं रहेगी।

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के एक सौ पांच विधायक हैं। एकनाथ शिंदे के साथ आए चालीस विधायकों का साथ मिलने से यह आंकड़ा एक सौ पैंतालीस सीटों का हो गया। वो कहते हैं कि महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 विधायक हैं और कांग्रेस के 45 विधायक हैं जबकि 29 अन्य विधायक भी हैं। ऐसे में जब तक भारतीय जनता पार्टी को एकनाथ शिंदे के साथ आए चालीस विधायकों की संख्या के बराबर की ताकत अजीत पवार से नहीं मिलेगी तब तक महाराष्ट्र की सियासत में कोई बड़े उलटफेर की संभावना नहीं दिख रही है। हालांकि उनका कहना है जिस तरीके से महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर हो रहा है उसमें भविष्य की राजनीति किस करवट बैठेगी इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर अजित पवार के साथ विधायकों की संख्या एकनाथ शिंदे से ज्यादा हो जाती है तो निश्चित तौर पर महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर बदल सकती है।

महाराष्ट्र की सियासत में पिछले साल जुलाई में बने समीकरणों की सरकार में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री तो बना दिया गया लेकिन सबसे ज्यादा सीटों वाली भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री न होना पार्टी के एक बड़े खेमे को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक और सरकार में राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान मांग रखी थी कि महाराष्ट्र के लोग देवेंद्र फड़णवीस को बतौर मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। इसको लेकर महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार कुछ मंचो पर अपनी आवाज भी उठाते आए हैं।