रायपुर (छत्तीसगढ़)। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल की जमानत याचिका कोर्ट ने मंजूर कर ली है। बघेल को 10 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी गई है। नंद कुमार बघेल की ओर से जगत कुमार हुडको की कोर्ट से प्रस्तुत जमानत आवेदन को स्वीकार करते हुए जमानत पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया है। रायपुर जिला न्यायालय के वकील गजेंद्र सोनकर ने बताया कि नंद कुमार बघेल को आज ही प्रशासनिक कार्रवाई के बाद जेल से छोड़ दिया जाएगा। बघेल तीन दिन से जेल में ही बंद थे।
नंद कुमार बघेल पर ब्राह्मण समाज के खिलाफ बयानबाजी करने का आरोप है। इस बयानबाजी को अपमानजनक मानते हुए उनके खिलाफ 4 सितंबर को डीडी नगर पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया गया था। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए रायपुर पुलिस ने उन्हें 7 सितंबर को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। जहां नंदकुमार बघेल ने जमानत आवेदन दाखिल करने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा के तहत जेल भेज दिया गया था।
ब्राह्मणों को बताया था विदेशी
नंद कुमार बघेल ने हाल ही में यूपी दौरे के दौरान ब्राह्मणों को विदेशी बताया था. लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा था कि जिसका वोट, उसी की सरकार। जिस तरह अंग्रेज देश छोड़कर गए थे उसी तरह ब्राह्मण भी यहां से जाएंगे। या तो ब्राह्मण सुधर जाएं, या तो जाने के लिए तैयार रहें।
सीएम बघेल ने कहा मैं आहत हूं
पिता नंद कुमार बघेल पर एफआईआर के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह इस तरह की टिप्पणियों से ‘आहत’ हैं साथ ही कहा था कि उनकी सरकार में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और पुलिस मामले में उचित कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ तौर पर कहा था कि पिता से उनके वैचारिक मतभेद शुरू से थे और यह बात सभी को पता है।
विवादों से पुराना नाता
सीएम बघेल के पिता नंद कुमार बघेल आपत्तिजनक बयानों से राज्य में लगातार विवादों में घिरते रहे हैं, हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब उन्हें जेल भी जाना पड़ा है। वैसे तो वे पहले से ही ब्राह्मण विरोधी बयान देते रहे हैं, पहला चर्चित विवाद 2001 में उनकी पुस्तक ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ था। इसमें वो महिषासुर, रावण को महान योद्धा भी बता चुके हैं। साथ ही उनके कुछ विवादों में पुस्तक प्रतिबंधित है ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ पुस्तक नंदकुमार बघेल की पुस्तक में मनुस्मृति और वाल्मिकी रामायण, तुलसीदास के रामचरित मानस पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।