दुर्ग (छत्तीसगढ़)। रिश्ते को कलंकित किए जाने के एक मामले में अदालत द्वारा वहशी पिता को जिंदगी भर तक जेल में रखे जाने का फैसला सुनाया है। पिता पर अपनी सगी बेटी का लगभग पांच वर्ष तक दैहिक शोषण किए जाने का आरोप था। जिसमें अदालत ने अभियुक्त को दोषी माना है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
मामला पुलगांव थाना क्षेत्र का है। पुलगांव थाना क्षेत्र के एक गांव की किशोरी 13 वर्ष की उम्र से अपने सगे पिता की हैवानियत का शिकार हो रही थी। 39 वर्षीय पिता ने किशोरी को पहली बार 15 अगस्त 2014 को अपनी हैवानियत का शिकार बनाया था। कम उम्र में पिता द्वारा की गई इस हरकत को समझ नहीं पाने और लोकलाज के भय से किशोरी ने इस बात की जानकारी किसी को नहीं दी थी। जिसके बाद पिता की हैवानियत का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। विरोध करने पर आरोपी द्वारा उसे उसकी मां के साथ जान से मारने की धमकी दी जाती है। 21 जुलाई 2019 को किशोरी को एक बार फिरकिशोरी के साथ घर में सूनेपन का फायदा उठाकर पिता ने हैवानियत की थी। जिसके बाद वह अपने मामा के गांव चली गई थी।
ऐसे खुला मामला
राखी के त्यौहार पर मां के बुलावे पर पीडि़ता 15 अगस्त 2019 को वापस आई थी। भाईयों को राखी बांधने के बाद वह जब मामा के साथ वापस ननिहाल जाने लगी तो आरोपी पिता ने इसका विरोध किया। साथ ही मामा और मां के साथ गाली गलौच व मारपीट की। जिसके बाद किशोरी पिता द्वारा पिछले चार वर्षो से की जा रही हैवानियत की जानकारी मां व नानी को दी। मामले में पुलिस ने शिकायत व किशोरी के चिकित्सकीय परीक्षण के आधार पर आरोपी पिता के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया था।
अदालत ने प्राकृत जीवन तक कारावास की दी सजा
प्रकरण पर विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने आरोपी पिता को अपनी सगी नाबालिग पुत्री के साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाए जाने का दोषी पाया। आरोपी पिता को दफा 376 (2) तथा 376 (3) के तहत दो बार पूरे प्राकृत जीवन तक कारावास तथा 5-5 हजार रु. के अर्थदंड़ से दंडि़त किया गया है। इसके अलावा दफा 506 बी के तहत 5 वर्ष व 500 रु. अर्थदंड़ तथा 323 के तहत 6 माह व 500 रु. अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया गया। पुलिस ने आरोपी को 16 अगस्त 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जिसके बाद से अभियुक्त फैसला सुनाए जाने तक जेल में ही निरुद्ध है। सभी सजाएंं साथ साथ चलेंगी।