राज्य शासन द्वारा नजूल भूमि के पट्टा प्राप्त भूमि स्वामियों के हक में परिवर्तन किए जाने के संबंध में नया नियम बनाया गया है। नियम के अनुसार पट्टा के भूमिस्वामी को परिवर्तित किया जा सकेगा। इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर को निर्देश जारी किए गए है। नियमों के अनुसार पट्टेदारों को भूमिस्वामी हक में परिर्वतन करने के संबंध में नजूल कार्यालयों ने कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। इस संबंध में दुर्ग जिले के सभी नजूल भूमिधारकों को नोटिस जारी किया गया है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। राज्य शासन द्वारा नजूल पट्टा के भूमिस्वामी के परिवर्तन बाबत गाइड लाइन तैयार की गई है। जिसके अनुसार ऐसे नजूल पट्टेदार जो गैर रियायती या शासन के बिना किसी अनुदान या छूट प्राप्त किए पट्टा धाारण कर रहे हैं, वे पट्टे की भूमि वर्तमान गाइड लाइन दर का 2 प्रतिशत जमा कर अपने पट्टा अधिकार को भूमिस्वामी अधिकार में परिर्वतित कर सकते हैं। इसी प्रकार शासन से रियायती दर पर, अनुदान या छूट का लाभ देते हुए पट्टा प्राप्त करने वाले धारक पट्टे पर प्राप्त भूमि का वर्तमान गाइड लाइन दर का 102 प्रतिशत जमा कर अपने पट्टा अधिकार को भूमिस्वामी अधिकार में परिर्वतित कर सकते हैं।
नगरीय निकायों में भी लागू होगा नियम
नगरीय निकायों में नगरीय आबादी पट्टा प्राप्त करने वाले धारक भी अपनी भूमि को भूमिस्वामी अधिकार में परिवर्तित करवा सकते हैं इसके लिए उन्हें अपने क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पास आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
दुर्ग जिले में 1967 पट्टा धारकों को 243 करोड़ का नोटिस जारी
जिले में ऐसे लगभग 1967 का पट्टेधारक है, जिन्हें लगभग 24 करोड़ रू. का नोटिस नजूल शाखा द्वारा जारी किया जा चुका है। जो पट्टेधारक भूमिस्वामी अधिकार प्राप्त करना चाहते है।, वो कलेक्ट्रेट नजूल शाखा में उक्त संबंध में समस्त भूमि पट्टेधारकों का शपथ पत्र, पट्टे की छायाप्रति, नजूल खसरे छायाप्रति, संलग्न कर आवेदन कर सकते हैं। प्राप्त आवेदनों पर शीघ्रतापूर्वक कार्यवाही की जावेगी। भूमिस्वामी अधिकार प्राप्त करने के लिए नगर एवं ग्राम निवेश से भूमि उपयोग प्रतिवेदन आवश्यक होगा।
यह होगा लाभ
पट्टे की भूमि को भूमिस्वामी अधिकार में परिवर्तित कराने पर धारक को बहुत सुविधा होगी। भूमिस्वामी धारक नगर विकास योजना के अनुकुल भूमि के उपयोग में परिवर्तन हेतु डायवर्सन करा सकेगा तथा सामान्य डायवर्टेड लैण्ड की तरह बैंक लोन आदि के लिए भी आसानी से आवेदन कर सकता है। पट्टे की भूमि प्रत्येक 30 वर्ष में नवीनीकरण कराना पड़ता है। एक बार भूमिस्वमी अधिकार प्राप्त करने के बाद धारक आसानी से नामांतरण करवा सकता है। इससे प्रक्रियागत सुविधा धारक को प्राप्त होगी।