सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास : शरारती तत्वों के खिलाफ की जाएगी अब एनएसए की कार्रवाई, नहीं मिलेगी जमानत

रायपुर (छत्तीसगढ़)। राज्य में साम्प्रदायिकता सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सरकार ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। अब ऐसे तत्वों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को अधिकृत कर दिया गया है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे व्यक्तियों को एक साल तक हिरासत में रख सकती है। इसमें जमानत भी मुश्किल होगी। बताया जा रहा है कि नारायणपुर में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के बाद सरकार को पूरे प्रदेश में ऐसी घटनाओं की साजिश रचे जाने की जानकारी मिली हैं।

गृह विभाग ने हाल ही में असाधारण राजपत्र में एक अधिसूचना जारी की है। जिसमें जिला कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका लगाने के लिए अधिकृत किया गया है। इस अधिसूचना के मुताबिक राज्य सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि कुछ तत्व साम्प्रदायिक माहौल को संकट में डालने के लिए, लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कार्य करने के लिए सक्रिय हैं, अथवा उनके सक्रिय हाेने की संभावना है। जिसे नियंत्रित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों के कलेक्टरों-जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया गया है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका की धारा-तीन-2 से मिले शक्तियों का प्रयोग एक जनवरी से 31 मार्च 2023 तक की अवधि में कर सकते हैं। बता दें कि यह आदेश एक बार में तीन महीनों के लिए ही जारी किया जा सकता है। बाद में इसे तीन-तीन महीनों के लिए बढ़ाया जा सकता है।

प्रदेश के बस्तर संभाग के कई जिलों में पिछले एक महीने से छिटपुट बवाल जारी है। पिछले महीने नारायणपुर जिले में धर्मांतरण कर इसाई बन चुके लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं अचानक बढ़ गईं। 16 दिसम्बर को 14 गांवों के ऐसे लोगों ने भागकर जिला मुख्यालय में शरण ली। बाद में धर्मांतरित लोगों ने एक गांव में कुछ ग्रामीणों को पीट दिया। जवाब में एक बड़ी भीड़ ने नारायणपुर में चर्च पर हमला किया। उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे एसपी सदानंद कुमार पर भी हमला हुआ। एसपी घायल हो गए। खुफिया जानकारी है कि शरारती तत्व धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर पूरे प्रदेश में बवाल खड़ा करने की कोशिश में हैं।