चोरी का केस लंबित होने के आधार पर कंपनी, उपभोक्ता को बिजली सप्लाई से वंचित नहीं कर सकती : शीर्ष अदालत

बिजली कंपनी द्वारा सिर्फ बिजली चोरी का मामला पेंडिंग होने के आधार पर उपभोक्ता की बिजली सप्लाई से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण निर्णय देश की शीर्ष अदालत ने दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिजली कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह अपने इलाके के हर परिसर में बिजली सप्लाई करे। बिजली चोरी केस लंबित होने के बावजूद बिजली कंपनी का उपभोक्ता की बिजली सप्लाई जारी रखने का दायित्व है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत कंपनी इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। शीर्ष अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के परिसर में 48 घंटे के भीतर बिजली सप्लाई करने का निर्देश भी बिजली कंपनी को दिया था।

नई दिल्ली। यह मामला दिल्ली के वसंत कुंज में रहने वाली एक महिला से संबंधित था। महिला ने बिजली सप्लाई काटे जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।उन्होंने दाखिल याचिका में बताया था कि वह पेशे से डॉक्टर हैं और वसंत कुंज के फ्लैट में रहती हैं, जिस पर ब्रह्मानंद शर्मा के नाम पर मीटर लगा हुआ था। 28 से 30 जुलाई, 2007 के बीच वह पटना गईं। लेकिन इस बीच दो लोगों ने मिलकर बिजली का मीटर हटा दिया और वहां अस्थायी बिजली सेवा बहाल कर दी और उनके पास लगातार प्रोविजनल बिल आता रहा। बिजली मीटर हटाए जाने की शिकायत जॉइंट कमिश्नर तक से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, नहीं, बल्कि उनके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज कर दिया गया। साथ ही बिजली भी काटी दी गई। परेशान महिला ने शीर्ष अदालत की शरण लेते हुए याचिका के माध्यम से बिजली सप्लाई बहाल कराने की अपील की थी।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड को नोटिस जारी किया। बिजली कंपनी की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि महिला के खिलाफ बिजली चोरी का केस चल रहा है, जो कोर्ट में लंबित है। इसी कारण उनकी बिजली काटी गई है।
हर परिसर में बिजली देना कंपनी का दायित्व
दोनों पक्षों की दलील पर विचार करने के बाद शीर्ष अदालत के जस्टिस ए. के. पटनायक व जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला देते हुए कहा कि अदालत को इस बात से मतलब नहीं कि महिला के खिलाफ बिजली चोरी से संबंधित केस लंबित है, बल्कि हमें इससे मतलब है कि उन्हें बिजली मिले। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-43 में प्रावधान है कि प्रत्येक बिजली वितरण कंपनी का दायित्व है कि कंपनी अपने इलाके के हर परिसर में बिजली सप्लाई करे। मौजूदा मामले में बिजली कंपनी का प्रयास है कि कंपनी को किसी भी तरह बिजली सप्लाई न करना पड़े। जबकि याचिकाकर्ता महिला का यह पूरा अधिकार है कि उसे बिजली दी जाए।
48 घंटे में बिजली सप्लाई बहाल करने का आदेश
शीर्ष अदालत ने बिजली कंपनी को 48 घंटे के भीतर महिला के परिसर में बिजली सेवा बहाल करने का निर्देश दिया। अदालत ने आगे कहा था कि अगर मकान मालिक अपने नाम पर बिजली कनेक्शन नहीं चाहता, तो बिजली कंपनी महिला के नाम पर मीटर लगाए और इसके लिए तमाम औपचारिकताएं पूरी की जाएं।

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