रायपुर, 16 जून 2025:
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और ग्रामीणों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “होम स्टे नीति” की शुरुआत की है। यह राज्य में पहली बार लागू की गई ऐसी योजना है, जो पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश, प्राकृतिक सौंदर्य, और आदिवासी संस्कृति का अनुभव सुलभ कराएगी, वहीं ग्रामीणों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
क्या है होम स्टे नीति?
नई नीति के तहत, अब पर्यटक महंगे होटलों में नहीं, बल्कि गांवों में स्थानीय लोगों के घरों में ठहर सकेंगे। वे वहां का लोकल खाना, चारपाई, कुएं का पानी, खेत-खलिहान, और स्थानीय परंपराओं का आनंद ले सकेंगे। यह नीति बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों से शुरू की जा रही है, जहाँ पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।

सरकार का सहयोग और प्रोत्साहन
सरकार ने इस योजना को सफल बनाने के लिए आर्थिक सहायता और लोन पर ब्याज में छूट की भी घोषणा की है:
- एक कमरे के निर्माण पर ₹1 लाख की प्रोत्साहन राशि:
- पहले वर्ष ₹50,000
- दूसरे वर्ष ₹30,000
- तीसरे वर्ष ₹20,000
- एक व्यक्ति अधिकतम 6 कमरे बना सकता है।
- लोन पर ब्याज सब्सिडी भी दी जाएगी।
पर्यटन विभाग इस योजना को चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में लागू करेगा।
युवाओं के लिए रोजगार का साधन
मांझी समुदाय के युवा ने बताया कि यह योजना युवाओं के लिए रोजगार का साधन बनेगी। जब देश-विदेश से पर्यटक यहां आएंगे तो वे सुकटी साग, चरोटा, मेथी भाजी, बोथल बासी जैसे पारंपरिक व्यंजन खाकर, छप्पर वाले घरों में रहकर और पहाड़ों के बीच जीवन का आनंद उठाकर एक अलग अनुभव पाएंगे।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की होम स्टे नीति एक दूरदर्शी पहल है, जो न केवल स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य के पर्यटन सेक्टर को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगी। इससे स्थानीय संस्कृति का संरक्षण होगा और पर्यटकों को अद्वितीय अनुभव मिलेगा। यह नीति सरकार की लोकल टू ग्लोबल विजन की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है।
