दशकों का इंतज़ार खत्म: साउथ अफ्रीका ने लॉर्ड्स में रचा इतिहास, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीतकर तोड़ा ‘चोकर्स’ का कलंक

लंदन/जोहान्सबर्ग, जून 2025 — क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े मिथकों में से एक आज टूट गया। साउथ अफ्रीका, जिसे लंबे समय से “चोकर्स” के रूप में जाना जाता था, ने आखिरकार बड़े टूर्नामेंट में जीत का स्वाद चखा है। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल 2025 में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराकर तेम्बा बावुमा की अगुवाई वाली टीम ने 282 रनों का सफल पीछा करते हुए लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

तेम्बा बावुमा और एडन मार्करम बने हीरो

इस ऐतिहासिक जीत में कप्तान तेम्बा बावुमा और एडन मार्करम की अहम भूमिका रही। दोनों ने संयम और आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए टीम को जीत की मंज़िल तक पहुँचाया। मार्करम ने मैच का एकमात्र शतक जड़ा और ‘मैन ऑफ द मैच’ बने।

बावुमा ने मैच के बाद कहा,

“जब हम बल्लेबाज़ी कर रहे थे तो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बार-बार ‘चोक’ शब्द का इस्तेमाल कर हमें मानसिक रूप से दबाव में लेने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन हमारी टीम आत्मविश्वास से भरी थी। बहुत लोगों को हमारी राह पर शक था, लेकिन हमने वो सब चुप कर दिया।”

1999 का बदला और 2024 की भरपाई

यह जीत 1999 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली करारी हार और 2024 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत से मिली शिकस्त की भरपाई भी है। एक तरह से यह क्रिकेट के इतिहास का चक्रव्यूह तोड़ने वाला पल था।

बावुमा ने आगे कहा,

“एक देश के रूप में, यह हमारे लिए एकजुट होने और खुश होने का पल है। हम अपने मुद्दों को भूलकर एक साथ जीत का जश्न मना सकते हैं। यह जीत न केवल खेल की है, बल्कि हमारे आत्मसम्मान और पहचान की भी है।”

‘अब कोई सवाल नहीं उठेगा’ – मार्करम

एडन मार्करम, जो इस मैच में सबसे बड़ी प्रेरणा शक्ति बने, ने कहा कि अब टीम पर से “चोकर्स” का टैग हट जाएगा।

“अब यह शब्द बार-बार सुनना नहीं पड़ेगा। हमने अपने खेल से हर सवाल का जवाब दे दिया है। यह जीत आने वाले भविष्य के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।”

राष्ट्रीय गर्व का क्षण

यह जीत न केवल क्रिकेट के नजरिए से, बल्कि दक्षिण अफ्रीका के सामाजिक और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। एक समय पर विभाजनों और असमानताओं से जूझते देश के लिए यह क्षण एकजुटता का प्रतीक बन गया है।

लॉर्ड्स की ऐतिहासिक जीत ने साउथ अफ्रीका को सिर्फ ट्रॉफी नहीं दिलाई, बल्कि वर्षों से चले आ रहे दर्द और असफलता के चक्र को तोड़ते हुए गर्व, प्रेरणा और नए युग की शुरुआत दी है।

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