माओवादी प्रभावित गांव से पुलिस की वर्दी तक और अब जनसेवा की राह पर सोमारू कड़ती

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित मदाड़ी गांव के रहने वाले सोमारू कड़ती ने जब 10 साल पहले पुलिस में भर्ती होने का फैसला किया था, तब यह किसी जोखिम से कम नहीं था। लेकिन अब, एक और बड़ा कदम उठाते हुए उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर जनता की सेवा करने का निर्णय लिया। फरवरी 2024 में हुए जिला पंचायत चुनावों में जीत हासिल कर वह अब जिला पंचायत सदस्य बन गए हैं।

पुलिस से जनसेवा तक का सफर

31 वर्षीय कड़ती ने बताया कि वह एक आवासीय स्कूल में पले-बढ़े, जहां शिक्षकों और स्थानीय लोगों की मदद से उन्होंने कला संकाय में स्नातक पूरा किया। इसके बाद, उन्होंने पुलिस बल में बतौर कांस्टेबल सेवा शुरू की और एएसआई (ASI) के पद तक पहुंचे। लेकिन वह अपने गांव में बुनियादी विकास की कमी से निराश थे और जनता की समस्याओं को उठाने के लिए उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

नक्सलियों का दबाव, फिर भी डटे रहे

जब उन्होंने पुलिस में भर्ती होने का फैसला किया था, तब नक्सलियों ने उन पर दबाव बनाया। उनके ही चचेरे भाई, जो कि माओवादी थे, ने उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और गांव लौटने के बजाय अपनी सेवा जारी रखी। बाद में, उनका माओवादी चचेरा भाई एक मुठभेड़ में मारा गया

अब 24 पंचायतों के विकास का संकल्प

अब, जिला पंचायत सदस्य के रूप में कड़ती 24 ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में जुट गए हैं। उन्होंने कहा,
“नक्सलवाद के कारण कई आवासीय स्कूल गांवों से दूर बनाए गए हैं। मैं चाहता हूं कि जिला खनिज न्यास (DMF) फंड का उपयोग करके इन स्कूलों को वापस गांवों में लाया जाए।”

उन्होंने सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और जागरूकता की कमी की ओर भी इशारा किया और कहा कि,
“कई सरकारी योजनाओं में धनराशि जारी होने के बावजूद विकास कार्य अधूरे हैं। कागजों में सड़कें बनी हुई दिखती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है।”

भविष्य की योजनाएं

कड़ती का कहना है कि अगले 10 साल तक वह युवा पीढ़ी को शिक्षित और सक्षम बनाने के लिए काम करेंगे
“जब युवा मुझसे बेहतर करने लगेंगे, तब मैं राजनीति से हटकर कोई छोटा व्यवसाय शुरू करूंगा।”

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