वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने $5 मिलियन (लगभग 41.5 करोड़ रुपये) के निवेश पर स्थायी निवास और नागरिकता प्रदान करने वाली ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत धनवान निवेशकों को अमेरिका में रहने और व्यवसाय करने की सुविधा मिलेगी, लेकिन इससे भारतीय ग्रीन कार्ड आवेदकों के लिए चिंता बढ़ गई है।
क्या है ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा?
- यह वीजा EB-5 निवेशक वीजा की जगह लेगा।
- इसमें किसी भी तरह के रोजगार सृजन की अनिवार्यता नहीं होगी।
- यह सीधे अमेरिकी नागरिकता की ओर मार्ग प्रशस्त करेगा।
- आवेदन करने के लिए $5 मिलियन (लगभग 41.5 करोड़ रुपये) का भुगतान करना होगा।
- इसमें कोई आवेदकों की संख्या की सीमा नहीं होगी, यानी जितने लोग भुगतान कर सकेंगे, वे आवेदन कर सकते हैं।
भारतीयों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
- H-1B वीजाधारकों के लिए यह योजना चिंता का विषय है, क्योंकि 10 लाख से अधिक भारतीय अमेरिका में ग्रीन कार्ड बैकलॉग का सामना कर रहे हैं।
- जिन भारतीयों ने EB-5 वीजा योजना का सहारा लेने की योजना बनाई थी, उनके लिए यह विकल्प महंगा हो सकता है।
- मध्यमवर्गीय निवेशकों के लिए गोल्ड कार्ड वीजा लेना मुश्किल होगा, क्योंकि इसमें पूरी राशि नकद जमा करनी होगी, जबकि EB-5 में ऋण या फंड पूलिंग की अनुमति थी।
- केवल अति-धनी भारतीय व्यवसायी, टेक्नोलॉजी लीडर्स और उद्योगपति ही इस विकल्प को अपना पाएंगे।
- जिन भारतीयों के पास $5 मिलियन नहीं हैं, उन्हें H-1B वीजा और EB-2/EB-3 ग्रीन कार्ड विकल्प के जरिए लंबी प्रतीक्षा जारी रखनी होगी।
EB-5 वीजा को क्यों हटाया गया?
- EB-5 वीजा 1990 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में पूंजी निवेश और रोजगार वृद्धि के लिए पेश किया गया था।
- इसे लेकर धोखाधड़ी और फर्जी निवेश योजनाओं की शिकायतें मिली थीं।
- ट्रंप ने इसे “फर्जी और बेकार” बताते हुए इसे खत्म करने का फैसला किया।
- इसमें निवेशकों को $800,000 से $1.05 मिलियन तक का निवेश कर 10 नौकरियां पैदा करनी पड़ती थीं, लेकिन गोल्ड कार्ड वीजा में ऐसी कोई शर्त नहीं है।
गोल्ड कार्ड वीजा कौन ले सकता है?
- जो भी $5 मिलियन का भुगतान कर सकता है, वह इस वीजा के लिए पात्र होगा।
- रूसी व्यापारियों और ओलिगार्क्स को भी इस योजना का हिस्सा बनने की अनुमति मिल सकती है।
- भारतीयों के अलावा चीनी, अरब और यूरोपीय अरबपति भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
क्या H-1B वीजाधारक गोल्ड कार्ड ले सकते हैं?
- यदि वे $5 मिलियन का भुगतान करने में सक्षम हैं, तो वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
- भारतीय आईटी पेशेवर और इंजीनियर जो H-1B वीजा बैकलॉग में फंसे हैं, यदि वे आर्थिक रूप से सक्षम हैं, तो वे ग्रीन कार्ड की लंबी प्रक्रिया से बच सकते हैं।
- कंपनियां भी संभवतः अपने उच्च कुशल कर्मचारियों को इस योजना के तहत प्रायोजित कर सकती हैं, लेकिन अभी तक इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
क्या ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा अमेरिकी नागरिकता की गारंटी देता है?
- हां, इस योजना के तहत प्रत्यक्ष रूप से अमेरिकी नागरिकता हासिल की जा सकती है।
- EB-5 में ग्रीन कार्ड मिलने के बाद कुछ वर्षों तक अमेरिका में रहने की शर्त होती थी, लेकिन गोल्ड कार्ड में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है।
निष्कर्ष
गोल्ड कार्ड वीजा अमेरिका के लिए धनवान निवेशकों को आकर्षित करने की रणनीति है, लेकिन इससे भारतीय पेशेवरों और मध्यमवर्गीय निवेशकों को झटका लग सकता है। यह नीति उन भारतीय अमीर व्यवसायियों और स्टार्टअप लीडर्स के लिए एक आसान रास्ता खोल सकती है, जो अमेरिकी नागरिकता की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। हालांकि, इस योजना से मध्यमवर्गीय भारतीय प्रवासियों के लिए अवसर सीमित हो सकते हैं।
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