रियाद: सऊदी अरब ने मंगलवार को अमेरिका और रूस के बीच उच्च स्तरीय वार्ता की मेजबानी कर एक ऐतिहासिक कूटनीतिक सफलता हासिल की। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा दिरियाह पैलेस में आयोजित बैठक में अमेरिका और रूस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक को रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में संभावित पहला कदम माना जा रहा है।
पहली बार आमने-सामने बैठे अमेरिका और रूस के शीर्ष अधिकारी
यह पहली बार था जब रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के तीन साल बाद अमेरिका और रूस के बीच सीधे उच्च-स्तरीय वार्ता हुई। बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भाग लिया। बैठक में अमेरिका-रूस संबंधों में सुधार और यूक्रेन युद्ध के समाधान पर चर्चा हुई।
यूक्रेन को वार्ता से बाहर रखने पर जताई गई चिंता
हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया, जिससे कीव और यूरोपीय सहयोगियों में असंतोष पैदा हो गया। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि बिना यूक्रेन की भागीदारी के कोई भी निर्णय स्वीकार्य नहीं होगा।
क्या इस बैठक से शांति की उम्मीद बढ़ी?
बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि दोनों देशों ने तीन प्रमुख लक्ष्यों पर सहमति बनाई:
- मास्को और वाशिंगटन में राजनयिक मिशनों की बहाली
- यूक्रेन शांति वार्ता के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन
- अमेरिका-रूस के बीच आर्थिक और कूटनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल वार्ता की शुरुआत है और आगे अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।
सऊदी अरब की कूटनीतिक जीत
इस बैठक की मेजबानी कर सऊदी अरब ने अपनी बढ़ती कूटनीतिक शक्ति और ‘सॉफ्ट पावर’ को स्थापित किया है। सऊदी सरकार के सलाहकार अली शिहाबी ने इसे सऊदी अरब की बड़ी सफलता बताते हुए कहा, “यह दर्शाता है कि दुनिया की दो महाशक्तियां रियाद में अपने मतभेद सुलझाने आई हैं।”
यूरोप में बढ़ी हलचल, पेरिस में हुआ आपातकालीन शिखर सम्मेलन
इस बैठक से ठीक पहले पेरिस में यूरोपीय नेताओं का एक आपातकालीन शिखर सम्मेलन हुआ, जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति के प्रति अपनी रणनीति पर विचार किया।
निष्कर्ष
सऊदी अरब में हुई इस ऐतिहासिक बैठक से वैश्विक कूटनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यूक्रेन को दरकिनार कर क्या अमेरिका और रूस किसी नए समझौते तक पहुंच सकते हैं, और क्या यह वास्तव में शांति की ओर एक ठोस कदम साबित होगा।
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