अंबिकापुर का अनोखा महामाया मंदिर: जहां बिना सिर की मूर्ति की होती है पूजा

अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित महामाया मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और धार्मिक आस्था के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा की जाती है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताएं इसे और भी खास बनाती हैं।

मूर्ति के रहस्य की पौराणिक कथा

मान्यता के अनुसार, महामाया देवी का धड़ अंबिकापुर के महामाया मंदिर में स्थित है, जबकि उनका सिर बिलासपुर जिले के रतनपुर महामाया मंदिर में विराजमान है। इसी कारण अंबिकापुर के महामाया मंदिर में बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा की जाती है। भक्तों की यह गहरी आस्था है कि माता की कृपा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अंबिकापुर और महामाया देवी का विशेष संबंध

ऐसा कहा जाता है कि अंबिकापुर शहर का नाम भी इस मंदिर के नाम पर पड़ा हैमहामाया देवी को अंबिका देवी के रूप में भी जाना जाता है, और उन्हीं के सम्मान में इस शहर को अंबिकापुर नाम दिया गया।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

इस प्राचीन मंदिर का निर्माण महाराजा रघुनाथ शरण सिंहदेव द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। खासकर नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

भक्तों की अटूट आस्था

  • मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कोई भी नया कार्य शुरू करने से पहले माता का आशीर्वाद लेना जरूरी मानते हैं।
  • नवरात्रि, विशेष पूजा और अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान मंदिर में विशाल भक्त-समूह एकत्रित होता है
  • दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर माता के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

निष्कर्ष

अंबिकापुर का महामाया मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां की बिना सिर वाली देवी की अनोखी मूर्ति श्रद्धालुओं की भक्ति और विश्वास का प्रतीक बनी हुई है।