रायपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ (Digital Evidence Expert) की तत्काल नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि डिजिटल अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह नियुक्ति आवश्यक है, अन्यथा न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
हाईकोर्ट ने जताई गंभीर चिंता
हाईकोर्ट ने प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य विशेषज्ञ की अनुपस्थिति को गंभीर चिंता का विषय बताया और केंद्र सरकार से जल्द से जल्द विशेषज्ञ नियुक्त करने को कहा। अदालत ने कहा कि देश के 16 स्थानों पर पहले ही विशेषज्ञों की नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक यह पद खाली है।
जनहित याचिका के माध्यम से मामला आया सामने
यह मामला याचिकाकर्ता शिरीन मालेवर द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से अदालत के समक्ष लाया गया था। इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने की।
कोर्ट ने आईटी अधिनियम की धारा 79 का दिया हवाला
कोर्ट ने आईटी अधिनियम (IT Act) की धारा 79 का हवाला देते हुए कहा कि डिजिटल साक्ष्य की जांच और प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञ की नियुक्ति अनिवार्य है।
केंद्र सरकार को चार सप्ताह में देना होगा जवाब
केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर शपथपत्र (Affidavit) दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को सूचित करना होगा कि किस व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया जा रहा है।
अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी
इस मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी, जहां यह स्पष्ट हो सकता है कि केंद्र सरकार ने विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए क्या कदम उठाए हैं। हाईकोर्ट के इस निर्देश से उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदेश में साइबर अपराधों की जांच प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।
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