रायपुर, 8 जून 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि ‘चिंतन शिविर 2.0’ जैसे प्रशिक्षण सत्र शासन को नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान करते हैं तथा नीति निर्माण की प्रक्रिया को सशक्त बनाने में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रीगणों को इससे परिवर्तनकारी नेतृत्व और सुशासन के गहरे सिद्धांतों को समझने का अवसर मिलता है।
भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) रायपुर में आयोजित इस दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले सत्र में मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रीगण उपस्थित रहे। इस सत्र में ‘परिवर्तनकारी नेतृत्व’, ‘दूरदर्शी शासन’, ‘संस्कृति’, ‘सुशासन’ और ‘राष्ट्र निर्माण’ जैसे गहन विषयों पर चर्चा हुई।
भगवद्गीता से मिला नेतृत्व का पाठ
आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने अपने प्रेरणादायक व्याख्यान में भगवद्गीता के श्लोकों के माध्यम से निष्काम कर्म, नैतिक प्रशासन और सत्यनिष्ठ शासन की महत्ता समझाई। उन्होंने कहा कि “कार्य केवल फल की आशा से नहीं, बल्कि उसके धर्मसंगत और नैतिक होने के कारण करना चाहिए।”
संस्कृति और राष्ट्र निर्माण का संबंध
डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, पूर्व अध्यक्ष – भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, ने ‘संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण’ पर बोलते हुए कहा कि भारत की एकता भौगोलिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक है। उन्होंने अंत्योदय के सिद्धांत को सुशासन का मूल बताया – समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण ही शासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
वित्तीय दृष्टिकोण से विकास पर चर्चा
पोस्ट लंच सत्र में आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. डॉ. रविंद्र ढोलकिया ने ‘सब्सिडी से सततता: विकास के लिए सार्वजनिक वित्त पर पुनर्विचार’ विषय पर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि राजस्व संग्रह, संसाधनों का कुशल उपयोग और पूंजीगत व्यय में वृद्धि से ही सतत विकास संभव है। उन्होंने नीति निर्धारकों को सुझाव दिया कि सब्सिडी नीति में संतुलन बनाकर ही दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती लाई जा सकती है।
प्रेरणा और नीति निर्माण का संगम
मुख्यमंत्री श्री साय ने दोनों सत्रों को प्रेरणादायक और नीति निर्माण में सहायक बताया। इस अवसर पर उनके साथ मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, सुशासन एवं अभिसरण विभाग के विशेष सचिव श्री रजत बंसल, आईआईएम रायपुर के निदेशक श्री राम काकाणी, और सभी मंत्रीगण उपस्थित थे।
