दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के शासकीय शिशु अस्पताल में नवजात बच्चों की अदला-बदली का गंभीर मामला सामने आया है। अस्पताल की लापरवाही के कारण एक मुस्लिम और एक हिंदू परिवार के नवजात बच्चे आपस में बदल गए, जिससे दोनों परिवारों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। इस मामले के सामने आने के बाद मुस्लिम परिवार ने नवजात बच्चे और उसकी मां को अस्पताल प्रबंधन को सौंप दिया।
जिला प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एक जांच कमेटी गठित की है, जो पूरे मामले की विस्तृत जांच कर रही है।
कैसे हुई यह लापरवाही?
यह घटना 23 जनवरी की है जब केलाबाड़ी निवासी शबाना कुरैशी और नेहरू नगर निवासी साधना ने ऑपरेशन के जरिए एक-एक बेटे को जन्म दिया। अस्पताल स्टाफ ने दोनों नवजातों के हाथ में टैग लगाए, लेकिन गलती से टैग पढ़ने में चूक हो गई और शबाना का बच्चा साधना को और साधना का बच्चा शबाना को सौंप दिया गया।
दोनों माताएं एक-दूसरे के बच्चों को अपना समझकर दूध पिलाती रहीं और इस गलती का खुलासा करीब 10 दिन बाद हुआ, जब शबाना कुरैशी ने अपने बच्चे के टैग पर लिखे नाम को ध्यान से पढ़ा।
बच्चे को वापस पाने की मांग पर अड़ा मुस्लिम परिवार
जब शबाना कुरैशी को इस अदला-बदली की जानकारी हुई, तो उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रबंधन से शिकायत की और अपने असली बच्चे को वापस दिलाने की मांग की। शबाना के परिवार ने कहा कि जब तक अस्पताल प्रबंधन बच्चों की सही पहचान कर उन्हें उनके असली माता-पिता को नहीं सौंपता, तब तक वे बच्चे को अस्पताल में ही रखेंगे।
सोमवार को बड़ी संख्या में मुस्लिम परिजन शिशु अस्पताल पहुंचे और नवजात बच्चे को उसकी मां के साथ अस्पताल प्रबंधन को सौंप दिया।
जिला प्रशासन ने शुरू की जांच
इस घटना के सामने आने के बाद दुर्ग जिला प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर दी है। अस्पताल की इस गंभीर लापरवाही को देखते हुए जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा सकती है।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की यह गंभीर लापरवाही भविष्य में किसी बड़े संकट का कारण बन सकती है, इसलिए इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
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