प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या (29 जनवरी) के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालुओं के संगम में पवित्र डुबकी लगाने की उम्मीद है। यह दिन सबसे बड़ा स्नान पर्व होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा और भीड़-नियंत्रण को लेकर व्यापक योजना तैयार की है।
सुरक्षा के विशेष इंतजाम
पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल ज़ोन घोषित कर दिया गया है। 27 से 30 जनवरी तक किसी भी वाहन को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान किसी भी वीआईपी प्रोटोकॉल को मान्यता नहीं दी जाएगी। ट्रैफिक मूवमेंट को केवल निर्धारित पार्किंग ज़ोन तक सीमित रखा गया है।
घाटों पर भीड़ नियंत्रण के निर्देश
पुलिस प्रशासन ने ज़ोनल सिस्टम लागू किया है। डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) वैभव कृष्ण ने बताया, “अरैल की ओर से आने वाले श्रद्धालु अरैल घाट पर स्नान करेंगे और झूंसी की ओर से आने वाले झूंसी घाट पर।”
पुलों और अखाड़ों के लिए विशेष व्यवस्था
पॉन्टून पुलों पर केवल एकतरफा आवाजाही की अनुमति दी जाएगी। अखाड़ों में जाने के लिए श्रद्धालुओं को स्लॉट बुक करना अनिवार्य होगा। 13 अखाड़ों के साधुओं के लिए शाही स्नान (अमृत स्नान) के विशेष प्रबंध किए गए हैं। संगम क्षेत्र के आसपास की एंट्री और एग्जिट रूट पर सख्त निगरानी रहेगी।
रेलवे ने बनाए खास इंतजाम
मौनी अमावस्या पर करीब 8-10 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचने की संभावना है। इसमें से 10-12 लाख लोग ट्रेन से यात्रा करेंगे। रेलवे ने 150 विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की है, जो प्रयागराज के नौ स्टेशनों पर रुकेंगी। हर चार मिनट में एक ट्रेन उपलब्ध रहेगी।
अन्य धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा
प्रयागराज के अलावा अयोध्या, वाराणसी और मिर्जापुर के धार्मिक स्थलों पर भी भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। मकर संक्रांति के दौरान अयोध्या में 10 लाख, काशी विश्वनाथ मंदिर में 7.41 लाख, और विंध्यवासिनी धाम में लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं की संख्या दर्ज की गई। मौनी अमावस्या पर यह संख्या चार गुना तक बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि श्रद्धालुओं और प्रशासन के लिए संयम और अनुशासन का पर्व भी है। सरकार ने व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए सभी मुमकिन प्रयास किए हैं।