नई दिल्ली, 9 जनवरी 2025: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार भारत और तालिबान के बीच उच्च स्तरीय बातचीत हुई। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार को दुबई में तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस बैठक को दोनों देशों के बीच बढ़ते संवाद का संकेत माना जा रहा है।
तालिबान के विदेश कार्यालय ने भारत को “महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक भागीदार” के रूप में मान्यता दी है। यह बयान तालिबान और भारत के बीच रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
तालिबान का बयान: तालिबान के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हम भारत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक भागीदार के रूप में देखते हैं। इस बातचीत से क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”
भारत की स्थिति: हालांकि भारत ने तालिबान सरकार को अभी तक औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन इस बैठक से संकेत मिलता है कि भारत अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को लेकर सतर्क लेकिन सक्रिय रुख अपनाए हुए है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बैठक को “आवश्यक मुद्दों पर चर्चा” का अवसर बताया।
बैठक के प्रमुख मुद्दे:
- सुरक्षा और आतंकवाद: दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों पर चर्चा की।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: अफगानिस्तान में भारतीय निवेश और विकास परियोजनाओं को लेकर भी बातचीत हुई।
- मानवीय सहायता: भारत द्वारा अफगानिस्तान में मानवीय सहायता जारी रखने पर जोर दिया गया।
विश्लेषकों की राय: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह पहल अफगानिस्तान में अपनी रणनीतिक भूमिका को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से की गई है।
भारत और तालिबान के बीच यह बैठक भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।