USCIRF की रिपोर्ट पर भारत का कड़ा प्रतिकार: धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर असहमति

अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की कथित बिगड़ती स्थिति का उल्लेख किया गया है, जिसमें देश को “विशेष चिंता वाले देश” (Country of Particular Concern) के रूप में नामित करने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और उनके अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। हालांकि, भारत ने इस रिपोर्ट को “पूर्वाग्रह से ग्रसित” बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया है।

MEA का कड़ा विरोध और आरोप

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस रिपोर्ट को “दुर्भावनापूर्ण” और “राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित” करार दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारे विचार USCIRF के बारे में स्पष्ट हैं। यह एक पक्षपाती संगठन है, जिसका राजनीतिक एजेंडा है। हम इस दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट को खारिज करते हैं, जो USCIRF की विश्वसनीयता को और नुकसान पहुंचाती है।”

उन्होंने USCIRF को अपनी कोशिशों में बदलाव करने की सलाह देते हुए कहा कि आयोग को “ऐसे एजेंडा-चालित प्रयासों” से दूर रहना चाहिए और इसके बजाय अमेरिका में मौजूद मानवाधिकार मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। MEA ने कहा, “हम USCIRF से आग्रह करते हैं कि वह ऐसे प्रयासों से दूर रहे और संयुक्त राज्य में मानवाधिकार मुद्दों पर अपनी ऊर्जा अधिक उत्पादक रूप से खर्च करे।”

USCIRF की रिपोर्ट के मुख्य आरोप

USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट में भारत पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, धार्मिक नेताओं की मनमानी गिरफ्तारी और घरों व पूजा स्थलों के विध्वंस जैसी घटनाओं का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “2024 के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों” को दर्शाने वाली घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि भारत का कानूनी ढांचा, जिसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राज्य स्तरीय धर्मांतरण विरोधी कानून शामिल हैं, का उपयोग धार्मिक अल्पसंख्यकों को हाशिए पर लाने के लिए किया जा रहा है।

रिपोर्ट में विशेष रूप से उन घटनाओं पर जोर दिया गया है, जहां “व्यक्तियों को मारा गया, पीटा गया और भीड़ द्वारा हमला किया गया,” साथ ही पूजा स्थलों के ध्वस्त किए जाने को भी उल्लंघन के रूप में बताया गया है।

भारत का USCIRF को वीसा न देने का रुख

यह उल्लेखनीय है कि USCIRF के सदस्यों को भारत सरकार ने लगातार वीजा देने से इनकार किया है। यह निर्णय पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में लिया गया था, और इसका तर्क यह दिया गया था कि USCIRF का हस्तक्षेप भारत के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी है।

भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि USCIRF के द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल भारत की छवि को धूमिल करना है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारतीय सरकार का यह रुख बताता है कि वह अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को पूरी तरह अस्वीकार करती है।