इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL), जो भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है और कलाश्निकोव AK-203 असॉल्ट राइफल्स के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है, को हाल ही में अफ्रीकी और मिडिल ईस्ट के देशों से निर्यात के लिए बड़ी संख्या में पूछताछ मिल रही है।
AK-203 असॉल्ट राइफल की बढ़ती मांग का मुख्य कारण रूस पर लगाए गए प्रतिबंध हैं, जो अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए हैं। इससे IRRPL को एक बड़ा अवसर मिला है, जिससे वह इन राइफलों की आपूर्ति कर सकता है। AK-203, कलाश्निकोव राइफल का आधुनिक संस्करण है, जो अपनी विश्वसनीयता, अनुकूलता, और कठिन परिस्थितियों में टिकाऊपन के लिए मशहूर है। भारत, रूस के बाहर पहला देश है जिसने AK-200 सीरीज की असॉल्ट राइफलों का उत्पादन शुरू किया है।
इस पर एक रक्षा अधिकारी ने कहा, “AK-203 की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां रूसी हथियारों को लंबे समय से प्राथमिकता दी गई है। रूस के साथ हमारी साझेदारी हमें इस खाली जगह को भरने का मौका देती है, जिससे भारत के रक्षा हित भी मजबूत हो रहे हैं।”
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह बढ़ती दिलचस्पी भारत की अफ्रीकी और मिडिल ईस्ट देशों के साथ रक्षा संबंधों को और गहरा कर सकती है, साथ ही भारत के रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी बल देगी।
हालांकि, अभी तक कोई औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं, लेकिन बढ़ती पूछताछ IRRPL के निर्यात पोर्टफोलियो को बढ़ाने की संभावना को दर्शाती है। इस साल की शुरुआत में भारतीय सेना को 35,000 AK-203 राइफलें सौंपी गई थीं, और जल्द ही और राइफलें भी दी जाएंगी।
अफ्रीकी और मिडिल ईस्ट के देशों से बढ़ती दिलचस्पी के साथ, IRRPL भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है, जो देश को एक वैश्विक हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा।