विपक्ष ईवीएम मशीन को लेकर एक बार फिर सत्ता पक्ष पर हमलावर हुआ है। हालांकि, मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जहां लगातार बहसें हो रही हैं। विपक्ष के तमाम आरोपों को पत्रकार रमेश ठाकुर के साथ बातचीत में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दूर करने की कोशिश की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से।
प्रश्नः ईवीएम मशीन पर लगने वाले आरोप कभी दूर होंगे भी या नहीं?
उत्तरः विपक्ष को हार की कुंठा कहीं तो निकालनी ही पड़ेगी। चुनाव चाहे छोटा हो या बड़ा, सभी चुनौतियों से भरे होते हैं। सोशल मीडिया का जमाना है और एआई तकनीक के मकड़जाल के दौर में स्वतंत्र चुनाव कराना आयोग के समक्ष निश्चित रूप से चुनौती है। पर, ‘भारतीय चुनाव आयोग’ ऐसे अजन्मी समस्याओं से हर सूरत में निपटने को तैयार है। चुनाव की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए आयोग नई आधुनिक तकीनीकों का इस्तेमाल कर रहा है। आयोग में काबिल ऑफिसर हैं। आयोग पर बेशक विपक्ष कितना भी आरोप क्यों न लगाए। लेकिन ये सच है हमारा आयोग निष्पक्ष और सशक्त है। प्रत्येक चुनौतियों से निपटकर आयोग साफ-सुथरा चुनाव संपन्न करवाएगा।
प्रश्नः विपक्षी दल ईवीएम को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे हुए हैं?
उत्तरः मुझे लगता है कि स्वतंत्र चुनाव आयोग व चुनावी प्रक्रिया की अवधारणा, समानता व स्वंतंत्रता के अधिकार के साथ भारतीय लोकतंत्र की विश्व में अलग प्रतिष्ठा कायम हो चुकी है। ईवीएम का इस्तेमाल भारत में ही नहीं, बल्कि तमाम पड़ोसी मुल्क भी ईवीएम और भारतीय चुनाव आयोग की मदद लेते हैं। उनको भी ईवीएम में कभी कोई खामियां नहीं दिखीं। फिर विपक्ष का बार-बार ईवीएम पर छाती पीटना और रोना-चिल्लाना, कोई तुक नहीं बनता? आयोग ने कई मर्तबा ईवीएम की तकनीकों के संबंध में जैसे, डिवाइस, मॉनिटरिंग सिस्टम व इस्तेमाल के तरीकों से विपक्ष के नेताओं का अवगत करवाया है। बावजूद इसके हारने के बाद विरोधी खेमा अपनी पराजय की कुंठा ईवीएम पर निकालते हैं। हालांकि, मौजूदा चुनाव में मुझे नहीं लगता, ईवीएम का कोई मुद्दा है।
प्रश्नः पहले चरण में मतदान उम्मीद से भी कम हुआ?
उत्तरः ये बड़ा विषय है। मुझे लगता है इस पर पक्ष-विपक्ष को मिलकर व्यापक स्तर पर चर्चा करनी जरूरी? क्योंकि ये मुद्दा सिर्फ सत्ता पक्ष के लिए ही जरूरी नहीं, बल्कि विपक्ष के लिए भी उतना ही महत्व रखता है। चुनाव चाहे छोटे हो, या बड़े उनमें मतदाताओं की उदासीनता के कारणों को जानना आयोग के लिए अतिजरूरी हो जाता है। क्योंकि चुनावों में आयोग की भूमिका बहुत बड़ी होती है। लोकतंत्र की मजबूत नींव रखने में जिस तरह से चुनाव आयोग अपना रोल निभाता है, जिसपर लोग आंखमूंद कर भरोसा करते है। देश चाहता है आयोग अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाए। कोई कमी न रहे, इसलिए केंद्र सरकार आयोग को हर जरूरत मुहैया करवाता है। फिलहाल आयोग की टीमें सशक्त हैं, काबिल से काबिल अफसर विभाग में हैं।
प्रश्नः चुनाव आयोग की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं?
उत्तरः मुझे लगता है बहुत मजबूती से आयोग इस बार के चुनाव में लगा है। धरपकड़ तेज है। पहले चरण के चुनाव से पूर्व आयोग ने 4658.13 करोड़ रूपए जब्त किए हैं। इसके अलावा भारी मात्रा में राजस्थान से नशीली दवाओं, शराब, कीमती धातुएं, मुफत बांटी जाने वाली वस्तुएं और अवैध नकदी पकड़ी है। आयोग के मुताबिक ये सिलसिला पूरे चुनाव में सभी 543 संसदीय क्षेत्रों में जारी रहेगा। आयोग ने खुद माना है कि 75 वर्ष के चुनावी इतिहास में इतनी बड़ी जब्ती हुई है। देखिए, आरोप लगाना बड़ा आसान होता। आरोप लगाने से पहले थोड़ा ये जरूर सोचना चाहिए कि बिलावजह के आरोपों से आयोग का मनोबल कमजोर भी होगा। आयोग स्वंतत्र संस्था है, उसे खुलकर काम करने देना चाहिए। मोदी सरकार में सभी संस्थाएं स्वतंत्र होकर काम कर रही हैं।
प्रश्नः विपक्ष का एक आरोप ये भी कि विदेशों में बैठे हैकर्स चुनाव में गड़बड़ी कर सकते हैं?
उत्तरः देखिए, ऐसी सूचनाएं मात्र अफवाह सी लगती हैं। इसमें कोई दम नहीं है? चुनावों में वोटरों को लुभाने एवं भ्रमित करने को पेड न्यूज और स्टिंग ऑपरेशन के बाद हैकर्स गड़बड़ी करते जरूर हैं। पर, ऐसी हरकतों से निपटने के लिए इस बार चुनाव आयोग ने अलग से एआई विभाग भी गठित किया है, जो ऐसे तत्वों पर पैनी नजर रखे हुए है। मेरी अपील है कि वोटर किसी भ्रम में न पड़े, निश्चिंत होकर बूथ जाएं और अपना मतदान करें।