दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नाबालिग किशोरी को घूमाने-फिराने के नाम अपहरण करने और शारीरिक संबंध बनाने वाले आरोपी के खिलाफ स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस मामले पूर्व में अभियुक्त की पत्नी को किशोरी के अपहरण में सहयोग देने के आरोप में कारावास से दंडित किया जा चुका है। मामले के अभियुक्त के घटना के बाद से फरार होने के कारण अदालत को दूसरी बार इस प्रकरण पर फैसला सुनाना पड़ा। अभियुक्त को अजीवन कारावास तथा कुल 5100 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) संगीता नवीन तिवारी की अदालत में सोमवार को सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी।
मामला वर्ष 2016 का है। मंदिर हसौद (रायपुर) निवासी जितेन्द्र नवरंगे (26 वर्ष) अपनी पत्नी अंजू के साथ पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र अंतर्गत किराए के मकान में रहता था। पीड़ित 14 वर्षीय किशोरी का अपने दोस्तों के साथ जितेन्द्र के घर आना जाना था। किशोरी के परिजन रिश्तेदारी में शादी समारोह में शामिल होने 9 मई को दूसरे गांव गए थे। किशोरी घर में अकेली थी। 14 मई को वापस घर लौटने पर जानकारी हुई कि किशोरी 10 मई से लापता हैं। जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस में की थी।
पुलिस पड़ताल के दौरान किशोरी को पुलिस ने रायपुर रेलवे स्टेशन से 22 मई को बरामद किया। पूछताछ में किशोरी ने बताया कि जितेन्द्र ने उसे बहकाया था और नई दिल्ली घूमाने-फिराने के लिए ले गया था। जहां निजामुद्दीन के पास एक गांव में उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाएं थे। इस कृत्य में उसकी पत्नी अंजू नवरंगे ने पूरा सहयोग दिया था। पुलिस ने आरोपी पत्नी अंजू नवरंगे को गिरफ्तार कर लिया था। जबकि जितेन्द्र फरार हो गया था।
पुलिस ने जितेन्द्र को फरार मुजरिम घोषित करते हुए प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया था। प्रकरण विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश हरीश कुमार अवस्थी ने अंजू को दोषी करार देते हुए 26 अगस्त 2017 को 10 वर्ष के कारावास से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया था। जितेन्द्र के खिलाफ बेमियादी गिरफ्तारी वारंट जारी था।
अभियुक्त जितेन्द्र नवरंगे पुलिस के हत्थे 3 मई 2017 को चढ़ा। पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जितेन्द्र के खिलाफ प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) संगीता नवीन तिवारी की अदालत में किया गया। विचारण पश्चात अभियुक्त को दोषी ठहराया। अदालत ने अभियुक्त जितेंद्र नवरंगे को दफा 366 के तहत 3 वर्ष कारावास तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत अजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। गिरफ्तारी के बाद से फैसला सुनाए जाने तक अभियुक्त जेल में ही निरुद्ध।