आईपीएस मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह की बढ़ी मुश्किलें, हाइकोर्ट ने सरकारी दस्तावेजों में कूट रचना केस पर से हटाई रोक

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एसीबी चीफ रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह सहित अन्य अफसरों की मुश्किलें बढ़ा दी है। कोर्ट ने सरकारी दस्तावेजों में कूट रचना करने के केस में लगी रोक हटाते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया है। दरअसल, ईई आलोक अग्रवाल के भाई पवन अग्रवाल की शिकायत पर कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने उनके खिलाफ षडयंत्र कर सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना करने का केस दर्ज किया है।

साल 2014-15 में एसीबी ने जल संसाधान विभाग के खारंग संभाग बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता आलोक कुमार अग्रवाल सहित अन्य अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके साथ ही उन पर करोड़ों रूपए के टेंडर में अनियमितता बरतने और चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित अन्य मामलों में केस दर्ज किया था।

ईई आलोक अग्रवाल के खिलाफ फर्जी शिकायतों को सही ठहराकर झूठी कार्रवाई करने का आरोप है। बाद में एसीबी के अफसरों ने दिसंबर 2018 में जांच के बाद टेंडर में पात्र ठेकेदारों को ही ठेका देने और दर्ज आपराधिक प्रकरण पर खात्मा रिपोर्ट तैयार किया था। कोर्ट में प्रस्तुत प्रकरण में आलोक अग्रवाल के भाई पवन कुमार अग्रवाल का नाम नहीं था और न ही विभाग ने उन्हें कोई टेंडर दिया था।

एसीबी के अधिकारियों की कार्रवाई के बाद ईई आलोक अग्रवाल के भाई पवन अग्रवाल ने लोअर कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया, जिसमें बताया गया कि साल 2014 में जिस आधार पर एसीबी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी। वह झूठी और मनगढ़ंत थी। उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार करने, सरकारी कागजात में कूटरचना कर लोक सेवकों के द्वारा अपने अधिकार का दुरुपयोग करने और कानून के विपरीत कम्प्यूटर में फर्जी कूटरचित एफआईआर तैयार करने का आरोप लगाया था।

साथ ही एसीबी चीफ समेत जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ जांच कर आपराधिक केस दर्ज करने की मांग की थी। इस केस की सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसीबी चीफ रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता, तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह, ईओडब्ल्यू के तत्कालीन एसपी अरविंद कुजुर, डीएसपी अशोक कुमार जोशी सहित अन्य अफसरों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी और कूटरचना करने का केस दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसके बाद बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर जांच शुरू की गई थी।

इस दौरान निलंबित एसपी रजनेश सिंह सहित अन्य पुलिस अफसरों ने पुलिस की एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन पर झूठा केस दर्ज करने का आरोप लगाया गया था। इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पुलिस अफसरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच और कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। तब से यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।