जीवामृत खाद बनेगी रसायनिक खाद का विकल्प, धमधा ब्लाक में जिला पंचायत सीईओ ने किया प्लांट का उद्घाटन

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। धमधा विकासखंड के ग्राम जाताघर्रा एवं भाठाकोकड़ी की महिला समूह द्वारा जीवामृत खाद बनाई जा रही है। यूरिया खाद की संकट से जूझ रहे किसानों के लिए यह एक सुखद खबर है, कि जीवामृत खाद को यूरिया एवं अन्य रासायनिक खाद की विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अब इन महिलाओं द्वारा वृहद स्तर पर सौर उर्जा से संचालित अनोखी मशीन से जीवामृत खाद व कीट नियंत्रक बनाई जाएगी।

एनआरएलएम विकासखण्ड परियोजना प्रबंधक सागर पंसारी ने बताया कि फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ग्राम जाताघर्रा व भाठाकोकड़ी में इसकी शुरूआत की जा रही है। उन्होंने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा सीएसआर के तहत् सरस्वती स्व सहायता समूह भाठाकोकड़ी एवं लक्ष्मी स्व सहायता समूह जाताघर्रा को जीवामृत बनाने की मशीन निःशुल्क प्रदाय की गई है। ग्राम जाताघर्रा में जीवामृत प्लांट का उद्घाटन जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन द्वारा किया गया व स्व सहायता समूह की महिलाओं से बाजार संबंधित चर्चा करते हुये प्रोत्साहित किया। जहां जीवामृत प्लांट आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से लगाया जा चुका है। उन्होने बताया कि अभी से महिलाओं को हजारों लीटर जीवामृत खाद का आर्डर भी मिल चुका है।
भाठाकोकड़ी महिला समूह की अध्यक्ष मधु वर्मा ने बताया कि उन्हे आईसीआईसीआई फाउंडेशन की ओर से 5100 लीटर जैविक खाद का आर्डर मिल चुका है। उनके द्वारा लगभग 2000 लीटर जैविक खाद तैयार भी कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि गांव की पशुपालक किसानों से वे प्रतिदिन 20 से 30 लीटर गोमूत्र एकत्रित कर लेती हैै। इसी प्रकार जाताघर्रा समूह की सचिव निर्मला ठाकुर ने बताया कि उनकी समूह में जुड़ी महिलाओं के घरों में गाय के गोमूत्र को एकत्रित कर वे लगभग 5000 लीटर जीवामृत खाद बना चुकी है।
आईसीआईसीआई फाउंडेशन के रवि वर्मा ने बताया कि जो जीवामृत प्लांट लगाया गया है वह सौर ऊर्जा से संचालित होगा। यह तरल जीवामृत खाद एवं कीट नियंत्रक बनाने की अनोखी मशीन है। मॉडल के अनुसार तीन-चार दिन में जीवामृत एवं अन्य सारे उत्पाद तैयार हो जाते है। जीवामृत खाद को आसानी से स्प्रिंकलर स्प्रेयर या बहते पानी के माध्यम से बिना हाथ लगाए फसलों में छिड़काव किए जा सकते है। इससे किसान का श्रम भी बचता है।
जीवामृत मशीन से जीवामृत खाद, सजीव जल, दिव्य जीवामृत, सोया शक्ति वर्धक टानिक, दशपर्णी कीट नियंत्रक, अग्नि कीट नियंत्रक आदि का उत्पादन लिए जा सकते है। उनका कहना है, कि जीवामृत खाद का उपयोग करने से एक ग्राम भी यूरिया एवं अन्य रासायनिक उर्वरकों की फसल के लिए जरूरत नहीं होगी। यह फसल की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है। इससे किसानों के खेत रसायन व जहर मुक्त होगा। वहीं केंचुए एवं जीवाणु बैक्टीरिया युक्त खेत तैयार होगा। रासायनिक कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं होगी। इसमें श्रम की भी बचत होगी। जीवामृत खाद एवं कीट नियंत्रक से उत्पादित उपज जहर मुक्त होगी। इससे सब्जियों की ऊंची कीमत मिलेगी।