रायपुर (छत्तीसगढ़)। टूलकिट विवाद में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह और भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को राहत मिली है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों नेताओं पर दर्ज एफआईआर की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। अब रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ आगामी आदेश तक कोई कार्यवाही नहीं होगी।
बता दें कि टूलकिट मामले में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा ने रायपुर के सिविल लाइन थाने में रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस मामले में रमन सिंह से पूछताछ भी की थी। वहीं संबित पात्रा को नोटिस जारी किया गया था। रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस पार्टी के आईटी रिसर्च सेल का फर्जी लेटरहेड बनाकर उसपर मनगढ़ंत और झूठी सामग्री इंटरनेट पर साझा की गई। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हेंडल से इस कथित फर्जी लेटरहेड को शेयर किया। साथ ही रमन सिंह ने भी ट्वीट कर सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने का काम किया। शिकायत के आधार पर रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई थी।
दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को लेकर डॉ. रमन सिंह और संबित पात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। दोनों नेताओं की याचिका पर आज जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने सुनवाई हुई। अगले आदेश तक एफआईआर की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई है। 11 जून को हाईकोर्ट में याचिका में जांच में राहत दिए जाने के आवेदन पर बहस हुई। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज हाईकोर्ट ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है। इसमें आपराधिक मामला नहीं बनता है।
यह है मामला
भाजपा ने बीते दिनों कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कोरोना महामारी में देशवासियों में भ्रम फैलाने और पीएम मोदी की छवि को खराब करने के लिए विपक्षी पार्टी ने टूलकिट का सहारा लिया है। इसे लेकर संबित पात्रा ने कुछ कथित सबूत भी मीडिया में पेश किए थे। बाद में इसे लेकर भाजपा नेताओं के खिलाफ कांग्रेस ने हमलावर रुख अख्तियार कर लिया था। कांग्रेस की ओर से उन सबूतों को फर्जी बताते हुए एफआईआर दर्ज करा दी थी।