नई दिल्ली: विश्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि उसने अपनी कारोबार सुगमता के बारे में जारी होने वाली ‘डूइंग बिज़नस रिपोर्ट’ के प्रकाशन को स्थगित रखने का फ़ैसला किया है। यह फ़ैसला पिछली कुछ रिपोर्टों में डेटा में बदलाव में हुई कई अनियमितताओं के बाद लिया गया है। विश्व बैंक ने एक बयान में कहा, ‘क्रमश: अक्टूबर 2017 और 2019 में प्रकाशित डूइंग बिज़नस रिपोर्ट 2018 और डूइंग बिज़नस रिपोर्ट 2019 के डेटा में बदलाव के सम्बंध में कई अनियमितताएँ सामने आई हैं। ये बदलाव डूइंग बिज़नस के तरीके के साथ साम्य नहीं थे।’
उसने कहा कि इन बदलावों से जो देश सर्वाधिक प्रभावित हुए थे, उनके प्राधिकरणों ने विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों के बोर्ड को इससे अवगत कराया। चूंकि हम अभी अपना आकलन करेंगे, इसलिये हमने डूइंग बिज़नस रिपोर्ट के प्रकाशन को रोकने का फ़ैसला किया है। ‘ उल्लेखनीय है कि भारत कारोबार सुगमता रिपोर्ट 2020 में 14 स्थानों की छलांग लगाकर 63वें पायदान पर पहुँच गया है। भारत ने पिछले पांच वर्ष (2014-2019) में 79 स्थानों की छलांग लगायी है।
MSME की मदद के लिए आगे आया World Bank
वर्ल्ड बैंक भारत की छोटी-मझौली कंपनियों की मदद के लिए आगे आया है। वर्ल्ड बैंक ने एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) की मदद के लिए 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी 5625 करोड़ रुपये का लोन देने का ऐलान किया है। यह रकम, सरकार द्वारा घोषित पैकेज (आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम) के तहत एमएसएमई की मदद करेगी। वर्ल्ड बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 75 करोड़ डॉलर की रक़म छोटी और मझौली कंपनियों की नकदी की समस्या का समधान करेंगी। क्योंकि, इन कंपनियों में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की नौकरियाँ जाने का ख़तरा बना हुआ है। वर्ल्ड बैंक के इस कर्ज़ से 15 करोड़ एमएसएमई को मदद मिलेगी। भारत का एमएसएमई सेक्टर, देश की जीडीपी में 30 फीसदी योगदान देता है। वहीं, मौजूदा समय में इसके एक्सपोर्ट पर भारी दबाव है।