भूमि मूल्य निर्धारण नीति में बड़ा बदलाव, किसानों को मिलेगा न्यायपूर्ण

रायपुर, 30 जुलाई 2025/
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित मंत्रीपरिषद की बैठक में वाणिज्यिक कर (पंजीयन) विभाग के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। यह प्रस्ताव ग्रामीण कृषि भूमि के बाजार मूल्य निर्धारण से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हितग्राहियों और किसानों को न्यायपूर्ण और पारदर्शी मुआवजा दिलाना है।


500 वर्गमीटर दर की व्यवस्था समाप्त

मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार, अब ग्रामीण कृषि भूमि के मूल्यांकन में 500 वर्गमीटर तक की दर की व्यवस्था को समाप्त किया जाएगा। इसके स्थान पर संपूर्ण भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर पर किया जाएगा।


भूमि अधिग्रहण विवाद होंगे कम

यह कदम भारतमाला परियोजना और बिलासपुर के अरपा भैंसाझार क्षेत्र में सामने आई अनियमितताओं को रोकने की दिशा में मददगार सिद्ध होगा। साथ ही इससे भूमि अधिग्रहण से संबंधित विवादों में कमी आएगी और मुआवजा प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत होगी।


परिवर्तित भूमि और निवेश क्षेत्र के लिए नई दरें

अब ग्रामीण क्षेत्र की परिवर्तित भूमि के मूल्य को सिंचित भूमि के ढाई गुना मानने की पुरानी व्यवस्था को भी समाप्त किया गया है। शहरी सीमा से लगे गांवों तथा निवेश क्षेत्रों की भूमि के लिए प्रति वर्गमीटर के आधार पर दर निर्धारित की जाएगी।


मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस निर्णय को एक दूरदर्शी नीति सुधार बताते हुए कहा:

“हम गाइडलाइन दरों में पारदर्शिता लाकर न सिर्फ किसानों को न्याय देंगे, बल्कि राज्य की विकास परियोजनाओं की गति भी बढ़ाएँगे। यह निर्णय भूमि मूल्य निर्धारण प्रणाली को सरल, स्पष्ट और विवाद-मुक्त बनाएगा।”


यह निर्णय छत्तीसगढ़ को भूमि प्रबंधन और अधिग्रहण नीति के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा