नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने गुरुवार को कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें व्हाट्सएप को मीटा या उसके प्रोडक्ट्स के साथ डेटा साझा करने पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया था।
NCLAT के चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य अरुण बरोका की पीठ ने कहा,
“पांच साल का प्रतिबंध व्हाट्सएप एलएलसी के बिजनेस मॉडल को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है, क्योंकि यह प्लेटफॉर्म मुफ्त है। हमारी राय में, इस प्रतिबंध पर रोक लगाना आवश्यक है।”
ट्रिब्यूनल ने व्हाट्सएप और मीटा पर लगाए गए ₹213.14 करोड़ के जुर्माने पर भी रोक लगाई, लेकिन इसके लिए दोनों को 50% राशि जमा करने का निर्देश दिया।
CCI का आदेश और विवाद
नवंबर 2024 में, CCI ने मीटा पर ₹213.14 करोड़ का जुर्माना लगाया था और व्हाट्सएप के 2021 प्राइवेसी पॉलिसी को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 का उल्लंघन मानते हुए इसे बंद करने का आदेश दिया था।
2021 की प्राइवेसी पॉलिसी में उपयोगकर्ताओं से विस्तारित डेटा साझा करने को स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया गया था, जबकि 2016 की पॉलिसी में उपयोगकर्ताओं को इस विकल्प को अस्वीकार करने का अधिकार था। इससे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और स्वायत्तता पर सवाल उठे, और CCI ने जांच शुरू की।
CCI ने निष्कर्ष निकाला कि व्हाट्सएप भारत में स्मार्टफोन मैसेजिंग और ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में प्रमुख स्थान रखता है और इसकी “टेक-इट-ऑर-लीव-इट” नीति उपयोगकर्ताओं पर अनुचित शर्तें थोपती है।
NCLAT में अपील
व्हाट्सएप और मीटा ने NCLAT में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि CCI ने अपनी सीमा से बाहर जाकर फैसला दिया है, क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष पहले से लंबित है।
सिब्बल ने कहा कि इस मामले के व्यापक प्रभाव हैं और भारत का नया डेटा प्राइवेसी कानून, जो 2025 में लागू होगा, इस विवाद को हल करेगा, जिससे CCI का आदेश अप्रासंगिक हो जाएगा।
CCI की ओर से वकील समर बंसल ने दलील दी कि उनकी जांच और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले के बीच कोई टकराव नहीं है। उन्होंने कहा कि डेटा प्राइवेसी कानून व्यक्तिगत डेटा पर केंद्रित है, जबकि प्रतिस्पर्धा कानून व्यापार से जुड़े डेटा को संबोधित करता है।
NCLAT ने मामले की पूरी सुनवाई और विस्तृत आदेश आने तक CCI के प्रतिबंध और जुर्माने पर रोक लगा दी है।