साहेब बंदगी मानव से मानवता तक और एक दूसरे को सह-सम्मान करने की पवित्र संस्कृति : सीएम बघेल

बेमेतरा (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज जिले के ग्राम लोलेसरा में पंथश्री हुजुर उग्रनाम साहेब स्मृति में कबीरपंथ के संत समागम मेला में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने साहेब बंदगी की जयघोष के साथ कबीरपंथ के गुरू प्रकाश मुनि नाम साहब से आर्शीवाद प्राप्त किया और भव्य आयोजन के लिए पूरे आयोजन समिति और कबीरपंथ के अनुयायियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि साहेब बंदगी मानव से मानवता तक और एक दूसरे को सह-सम्मान करने तथा अभिवादन करने की पवित्र संस्कृति है। इस संस्कृति की महत्ता एवं ख्याति दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कबीरपंथ आयोजन स्थल में लगभग 1 करोड़ 50 लाख रूपए की लागत से बने 3 विभिन्न नवीन कार्याे का लोकार्पण किया। इनमें पहंुच मार्ग निर्माण कार्य लागत 50 लाख रूपए, भवन निर्माण कार्य लागत 50 लाख रूपए और आहता निर्माण कार्य लागत 50 लाख रूपए शामिल है। मुख्यमंत्री ने कबीरपंथ के गुरू प्रकाश मुनि नाम साहब के आग्रह पर मेला स्थल के समुचित विकास और संत-साधु के विश्राम भवन निर्माण के लिए 1 करोड़ रूपए प्रदान करने की घोषणा की। साथ ही ग्राम नेवसा में उप-स्वास्थ्य खोलने और कबीरपंथ ग्राम बघुली पहंुच मार्ग का चौड़ीकरण, नवीनीकरण तथा पुल-पुलिया और रपटा निर्माण की भी घोषणा की। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कबीरपंथ की महत्ता और ख्याति को बढ़ाते हुए धर्मनगरी ग्राम दामाखेड़ा में 22 करोड़ की लागत से विशाल कबीर सरोवर के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि निर्माण को शीघ्र मूर्त रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने राज्य शासन के महत्वाकांक्षी योजना राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, ऋण माफी सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने वाली गोधन न्याय योजना और रीपा सहित महत्वाकांक्षी सभी योजनाओं की जानकारी दी।

इस अवसर पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे और बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा ने भी संबोधित किया। मंच पर गुरू गोस्वामी डॉ. भानुप्रताप साहेब, संसदीय सचिव गुरूदयाल बंजारे, जिला पंचायत सदस्य शशिप्रभा गायकवाड़, कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला और पुलिस अधीक्षक आई कल्याण एलिसेला उपस्थित थे।

इस अवसर पर कबीरपंथ के गुरू प्रकाश मुनिनाम साहेब ने कहा कि कबीर पंथ कोई धर्म या जाति नहीं, बल्कि सत्गुरु कबीर साहेब द्वारा दिखाया हुआ एक मार्ग है। इस मार्ग पर चलकर हर धर्म, जाति और मजहब का व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। उन्होंने अपने अनुयायियों को सदाचार और सत्य का मार्ग दिखाते हुए साहेब बंदगी अभिवादन का मूल स्वरूप एवं संदेश दिया। गुरू प्रकाश मुनिनाम साहेब ने कहा कि कबीरपंथ के लोग जब भी अपनों से मिलते है तो उन्हे सच्ची भाव और सम्मान से साहेब बंदगी से अभिवादन किया जाता है। साहेब बंदगी का मूल अर्थ मानव और मानवता के अंदर घट-घट में बसे परमात्मा को महसूस करते हुए उन्हें पूरे आदर और सम्मान से साहेब बंदगी से अभिवादन किया जाता है। कबीरपंथ में ऐसी मान्यता है कि हर व्यक्ति के अंदर ईश्वर और परमात्मा का वास है , उसी को सम्मान देते हुए साहेब बंदगी कहते है। उन्होंने कहा है कि कबीरपंथ ने सर्व मानव समाज को एक-दूसरे को जोड़ने का एक सदाचार और सत्य का मार्ग दिखाया है। इस पंथ में जाति, धर्म, संप्रदाय की कोई बंधन नहीं है। यहां सभी धर्माे को मानने वाले लोग कबीर के बताए मार्ग पर चलकर अपना जीवन को उचाई दे रहे हैं।