आदिवासी बच्चों पर अत्याचार : पूर्व स्कूल संचालक को कोर्ट ने दी आजीवन कारावास की सजा

रायपुर (छत्तीसगढ़)। राजधानी में आदिवासी बच्चों की खरीद-फरोख्त मामले में आरोपी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी ने फर्जी स्कूल की मान्यता बनाकर आदिवासी बच्चों को पढ़ाने के नाम पर घर का काम करता था। आदिवासी बच्चों पर अत्याचार करने के बहुचर्चित मामले में पूर्व स्कूल संचालक सतीश उर्फ क्षितिज शर्मा उर्फ वृषांक सतीश कश्यप को विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटीज) हिरेंद्र सिंह टेकाम ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

यह मामला वर्ष 2015 का है। देवेंद्र नगर इलाके में सतीश उर्फ क्षितिज शर्मा ने वेदांता इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के नाम से फर्जी स्कूल की मान्यता ली थी। वर्ष 2014-15 में कक्षा छठवीं के लिए आदिम जाति विद्यार्थी योजना के तहत तीन बच्चों को यहां आदिम जाति विभाग द्वारा प्रवेश कराने का निर्देश दिया गया। जब वे यहां से पढ़कर वापस अपने घर लौटे तो उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि स्कूल संचालक क्षितिज शर्मा और उसकी पत्नी उनसे घर में झाड़ू पोछा करवाते थे।

साल 2015 में कबीर नगर थाने में इसकी शिकायत की गई थी। थाने में धारा 370, 420, 468 और 471 के तहत आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शुक्रवार को स्पेशल जज एट्रोसिटी एस. एस. टेकाम ने आरोपी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।