नई दिल्ली: बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी विध्वंस केस में बरी होने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज का निर्णय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है और हम सबके लिए ख़ुशी का दिन है। मैंने जब ये समाचार सुना तो जय श्री राम कहकर इसका स्वागत किया। वहीं, मुरली मनोहर जोशी ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक क़रार दिया। उन्होंने कहा कि न्यायालय का आदेश ये सिद्ध करता है कि 6 दिसम्बर को कोई षडयंत्र नहीं हुआ था। हमारे रैली और कार्यक्रमों का किसी साज़िश से कोई जुड़ाव नहीं था। हम खुश हैं और हर कोई भगवान राम के मंदिर को लेकर उत्साहित है।
६ दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में 28 साल बाद जज सुरेंद्र कुमार यादव की विशेष अदालत अपना फ़ैसला सुना दिया है। जज ने फ़ैसला पढ़ते हुए कहा है कि यह विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था बल्कि आकस्मिक घटना थी। विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व कल्याण सिंह सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया है।
इस मामले में 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। इसमें से 17 की मौत हो चुकी है। सीबीआई व अभियुक्तों के वकीलों ने करीब आठ सौ पन्ने की लिखित बहस दाखिल की है। इससे पहले सीबीआई ने 351 गवाह व करीब 600 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए हैं। 30 सितंबर, 2019 को सुरेंद्र कुमार यादव ज़िला जज, लखनऊ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें फ़ैसला सुनाने तक सेवा विस्तार दिया था। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव के कार्यकाल का अंतिम फ़ैसला 30 सितंबर को होगा। सीबीआई के वकील ललित सिंह के मुताबिक कि यह उनके न्यायिक जीवन में किसी मुकदमे का सबसे लंबा विचारण है। वह इस मामले में वर्ष 2015 से सुनवाई कर रहे हैं।
सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एस.के. यादव ने अपने फैसले में कहा कि छह दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा पर पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियाँ थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था। जज ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं। कैसेट्स को सील नहीं किया गया, फोटोज की नेगेटिव नहीं पेश की गई. ऋतम्बरा और कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया गया।