दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने अपने चेंबर में आज बारहवीं कक्षा के मेरिटोरियस बच्चों, उनके शिक्षकों और अभिभावकों का सम्मान किया। इस मौके पर उन्होंने बच्चों से सक्सेस के गोल्डन रूल भी साझा किये। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा स्वामी विवेकानंद की उन पंक्तियों में विश्वास करता हूँ कि जिस सीमा पर हमारी बुद्धिमत्ता समाप्त होती है। उसी सीमा से कठोर मेहनत की शुरूआत होनी चाहिए। कलेक्टर ने इस दौरान बच्चों से संवाद किया और उन्हीं के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्हें गोल्डन रूल साझा किये जो प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं और करियर के लिए तैयारी कर रहे हर बच्चे के लिए उपयोगी होंगे।
इस मौके पर लक्ष्मी ने कलेक्टर से कहा कि मैं भी आपकी तरह ही कलेक्टर बनना चाहती हूँ। कलेक्टर ने लक्ष्मी के उत्तर में कहा कि मुझ जैसा नहीं, मुझसे ज्यादा अच्छी कलेक्टर बनो। हमेशा अपना बेंचमार्क ऊपर रखना चाहिए। कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में एक शब्द होता है काम्पेलेसेंसी जिसका हिंदी में अर्थ ठहराव या आत्मसंतुष्टि के करीब होता है। जहां आप अपने कार्य से संतुष्ट हो जाते हैं वहां बेहतर करने की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। इसलिए हमेशा जिज्ञासु बने रहें और सीखने तथा आगे बढ़ते रहने की कोशिश करें। मैं कलेक्टर हूँ और इसके लिए मैंने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की थी लेकिन अब मुझे लोगों के लिए अच्छा काम करने की चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि आपको प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए मटेरियलय जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।
बचें ओवर कांफिडेस से
कलेक्टर ने कहा कि ओवर कान्फिडेंस के बजाय मैं थोड़ा अंडर कान्फिडेंस को ज्यादा महत्वपूर्ण मानता हूँ। अपने काम को लेकर थोड़ा सा स्ट्रेस इसकी उत्पादकता को बहुत बढ़ा देता है। कलेक्टर ने कहा कि अपने ऊपर गौरव करना चाहिए, घमंड नहीं। इसकी बड़ी बारीक रेखा होती है लेकिन लगातार आत्मविश्लेषण करने से आप इसे जान सकते हैं। इस पर एक छात्र ने पूछा कि हमें किसी उदाहरण से समझाइये। इस पर कलेक्टर ने कहा कि यदि आपको कोई चीज आती है तो इसे आप दो प्रकार से कह सकते हैं। पहला तो यह कि मुझे भी आता है और दूसरा यह कि केवल मुझे ही आता है। जब आप केवल मुझे ही आता है कहते हैं तब यह घमंड है। भी लगाने से यह आत्मगौरव में बदल जाता है।
प्रोफेशनल कोर्स करें, कौशल बढेगा
जरवाय के जितेश कुमार देवांगन ने प्रश्न किया कि मैं बहुत कन्फ्यूज हूँ टीचर बनने के लिए बीएससी करूँ या इंजीनियर बनने के लिए आईआईटी करूँ। इस पर कलेक्टर ने कहा कि अपनी रुचि का काम करो। मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि कोई प्रोफेशनल कोर्स जरूर करना चाहिए। शिक्षा केवल ज्ञान नहीं है यह आपको कौशल भी देता है। आपकी तरह मैं भी दुविधा में था। मैं कलेक्टर बनना चाहता था, बारहवीं के बाद चूंकि मैंने गणित और बायोलाजी दोनों लिया था, इसलिए मेरे पास मेडिकल, इंजीनियरिंग और बीएससी तीनों के विकल्प थे या मैं बीए भी कर सकता था। मुझे एक परिचित ने कहा कि प्रोफेशनल कोर्स कर लो, इससे तुम्हारा स्किल बढ़ेगा। यह हुआ, मेडिकल की पढ़ाई में मैंने केवल ज्ञान नहीं सीखा, दूसरों की तकलीफों को देखकर मेरी संवेदना भी बढ़ी। पब्लिक डीलिंग के ज्यादा अवसर मिले। इससे मुझे काफी कुछ सीखने मिला। इसलिए कोई भी करियर केवल आपके लिए नौकरी का साधन नहीं है वो आपके क्वेस्ट अथवा जिज्ञासा को जगाता है और बढ़ाता है जिसका अंततः प्रतिफल आपके व्यक्तित्व में भी झलकता है और आपका परिवेश भी इससे समृद्ध होता है।
फीडबैक जरूर लें
कलेक्टर ने कहा कि आपको तरक्की करनी है तो दूसरों से सतत रूप से सीखना चाहिए। जो काम आप करते हैं उस पर लोगों से फीडबैक जरूर लें। मैं किसी निर्णय में पहुंचने से पहले दूसरों की राय भी लेता हूँ। इससे निर्णय प्रक्रिया आसान होती है और आप सबसे सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव करते हैं। जिंदगी में गर्व विनाशक है और विनम्र, जिज्ञासु रहना जिंदगी में सफलता की कुंजी है। तालाब का पानी गंदा हो जाता है। नदी का पानी निर्मल रहता है।
उपलब्ध कराई जाएगी कोचिंग
इस दौरान उपस्थित जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल ने कहा कि छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग उपलब्ध कराएंगे और करियर के संबंध में मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। इस दौरान सहायक संचालक अमित घोष भी उपस्थित थे।