भारत ईयू के कार्बन टैक्स पर जताएगा कड़ी आपत्ति, वाणिज्य वार्ता में उठेगा मुद्दा

नई दिल्ली, 27 फरवरी 2025: यूरोपीय संघ (EU) के विवादास्पद कार्बन टैक्स (CBAM) को लेकर भारत कड़ी आपत्ति जताने की तैयारी में है। यह मुद्दा यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन और 21 ईयू आयुक्तों की दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान उठाया जाएगा। यह कर भारत से यूरोप को होने वाले इस्पात, एल्युमीनियम और अन्य कार्बन-गहन उत्पादों के निर्यात पर 30% तक शुल्क लगाने का प्रावधान करता है, जो 2026 से लागू होने वाला है।

CBAM को बताया अनुचित, WTO नियमों का उल्लंघन

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पहले भी CBAM को “अनुचित” करार दे चुके हैं। भारत का मानना है कि यह कर “समान लेकिन भिन्न उत्तरदायित्व” (CBDR) सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सभी देशों पर तो है, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति के अनुसार भिन्नता होनी चाहिए। भारत का तर्क है कि पर्यावरणीय मुद्दों को व्यापार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए

CBAM को लेकर मुख्य चिंता यह है कि यह भारतीय निर्यातकों से 1,000 से अधिक डेटा बिंदुओं की मांग करता है, जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को भारी परेशानी हो सकती है। भारत ने अभी तक WTO में इस मुद्दे पर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है, क्योंकि वर्तमान में दोनों पक्ष मुक्त व्यापार समझौते (FTA), निवेश समझौते और भौगोलिक संकेत (GI) संधि पर बातचीत कर रहे हैं

भारतीय निर्यात पर प्रभाव

CBAM का असर भारत से यूरोपीय संघ को होने वाले निर्यात पर गहरा पड़ सकता है। दिल्ली स्थित ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) के अनुसार, भारत से इस्पात, लौह, एल्युमीनियम उत्पादों पर 20–35% अतिरिक्त शुल्क लग सकता है। वहीं, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 32% निर्यात—जिनकी कुल कीमत $27 बिलियन (2022 के अनुसार) थी—CBAM के दायरे में आ सकते हैं। अगर अन्य उत्पादों को भी इसमें शामिल किया गया, तो यह भारत के कुल निर्यात के 43% हिस्से को प्रभावित कर सकता है

ईयू की सफाई, भारत की चिंता बरकरार

यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा, “CBAM WTO नियमों के अनुरूप है और यह केवल हमारे घरेलू नियमों का अंतरराष्ट्रीय विस्तार है। हम भारत सहित सभी प्रभावित पक्षों की चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं।” हालांकि, भारत का मानना है कि अगर CBAM को लागू किया जाता है, तो FTA के तहत मिलने वाली व्यापारिक रियायतें प्रभावहीन हो जाएंगी

FTA वार्ता में भारत MSMEs के लिए राहत की मांग करेगा

भारत CBAM को हटाने या कम करने के लिए FTA वार्ता के तहत छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए छूट की मांग कर सकता है। भारत इस कर को निर्यातकों पर “अप्रत्यक्ष व्यापार बाधा” (Non-Tariff Barrier) मानता है, जो वैश्विक व्यापार के नियमों के खिलाफ है

निष्कर्ष

भारत इस मुद्दे पर अपने रुख को स्पष्ट करेगा और EU से CBAM के प्रभाव को कम करने की मांग करेगा। 2026 से लागू होने जा रहे इस कर को लेकर अभी भी व्यापारिक वार्ता जारी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत और EU किसी मध्यस्थ समाधान तक पहुंच पाते हैं, या फिर यह विवाद भविष्य में बढ़ता रहेगा