सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित केरलापेंदा गांव में इतिहास रच दिया गया जब स्वतंत्रता के बाद पहली बार ग्रामीणों ने मतदान किया। राज्य में जारी पंचायत चुनावों के तीसरे चरण में रविवार को गांव के लोगों ने मतदान केंद्र पर पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
75 साल बाद पहली बार वोटिंग, लोगों ने रखी अपनी मांगें
गांव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच महिलाओं और पुरुषों ने शांतिपूर्ण तरीके से वोट डाला। यह पहली बार था जब इस गांव के लोगों को राजनीतिक नेताओं के सामने अपनी समस्याएं रखने का मौका मिला। एक ग्रामीण ने ANI से कहा—
“मैंने पहली बार वोट डाला है। हमने पहले कभी मतदान नहीं किया था।”
केरलापेंदा गांव के लोगों के अलावा आसपास के गांवों के लोग भी मतदान करने पहुंचे। एक अन्य ग्रामीण ने कहा—
“75 साल बाद यहां मतदान हो रहा है। मुझे खुशी है कि हम अब विकास की ओर बढ़ेंगे। पहली बार हमें अपने नेताओं के सामने अपनी मांगें रखने का मौका मिला है।”
बीजापुर के ग्रामीणों ने भी किया मतदान, लंबी दूरी तय कर पहुंचे
केरलापेंदा ही नहीं, बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी लोगों ने बड़ी संख्या में मतदान किया। यहां के भोपालपट्टनम गांव में ग्रामीणों ने जंगलों, नदियों और पहाड़ों को पार कर 70 किलोमीटर की दूरी तय कर मतदान केंद्र तक पहुंचे।
यह गांव बीजापुर जिले के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में आता है, जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इसके बावजूद पांच गांवों के लोगों ने एकजुट होकर लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाई।
ग्रामीणों की मांग—रोजगार, सड़क, बिजली और पेंशन
मतदान के दौरान कई ग्रामीणों ने सरकार से रोजगार, सड़क, बिजली, पेंशन और अन्य बुनियादी सुविधाओं की मांग की। एक मतदाता ने कहा—
“हम चाहते हैं कि सरकार हमें रोजगार के अवसर, सड़क, बिजली और पेंशन जैसी सुविधाएं दे।”
77.54% मतदान दर्ज, संख्या बढ़ने की संभावना
छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनावों के पहले दो चरण 17 और 20 फरवरी को हुए थे। तीसरे चरण में 77.54% मतदान दर्ज किया गया, जो आगे बढ़ सकता है।
इस चुनाव ने यह साबित कर दिया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में भी अब लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो रही हैं और लोग अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहे हैं।
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