वाशिंगटन डी.सी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार शाम (भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह) वाशिंगटन डी.सी. पहुंचे, जहां वह ब्लेयर हाउस में ठहरेंगे। उनके सामने दो प्रतिष्ठित इमारतें होंगी – व्हाइट हाउस और आइजनहावर एग्जीक्यूटिव ऑफिस बिल्डिंग (EEOB)। प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार शाम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे, लेकिन उससे पहले एलन मस्क से उनकी संभावित बैठक को लेकर चर्चाएं तेज हैं।
व्हाइट हाउस के पास क्यों डेरा डाले हुए हैं एलन मस्क?
टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क पिछले एक महीने से EEOB में ठहरे हुए हैं। कुछ लोग इसे अमेरिका की “सबसे बदसूरत इमारत” मानते हैं, लेकिन यह अब अमेरिका के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति एलन मस्क का अस्थायी निवास बन गया है।
मस्क और मोदी की संभावित मुलाकात
एलन मस्क, जो भारत में टेस्ला और स्पेसएक्स लाने के इच्छुक हैं, जल्द ही ब्लेयर हाउस में पीएम मोदी से मुलाकात कर सकते हैं। दोनों के बीच वार्ता में भारतीय बाजार में टेस्ला के प्रवेश, स्पेसएक्स के संभावित निवेश, और टेक्नोलॉजी इनोवेशन को लेकर चर्चा हो सकती है। पीएम मोदी वर्षों से मस्क को भारतीय बाजार में निवेश के लिए आमंत्रित कर रहे हैं और यह बैठक दोनों देशों के आर्थिक और तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ा सकती है।
व्हाइट हाउस में “प्रेसिडेंट मस्क” का दबदबा
एक अभूतपूर्व घटना में, मंगलवार को व्हाइट हाउस में एलन मस्क ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ओवल ऑफिस में लंबी चर्चा की। मस्क ने अमेरिकी प्रशासन में बढ़ते लालफीताशाही पर नाराजगी जताई और सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई सुझाव दिए।
हैरानी की बात यह रही कि राष्ट्रपति ट्रंप, जो आमतौर पर किसी को मंच पर हावी नहीं होने देते, मस्क को पूरे 30 मिनट तक बिना रोक-टोक के बोलने का मौका दिया। इस घटना के बाद से मस्क को अमेरिका में “प्रेसिडेंट मस्क” कहकर बुलाने की चर्चा भी जोरों पर है।
मोदी-मस्क वार्ता से क्या निकलेगा?
अगर मोदी और मस्क की बैठक होती है, तो इसमें मुख्य रूप से टेस्ला के भारत में लॉन्च, स्पेसएक्स की संभावनाएं, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहयोग जैसे विषय शामिल हो सकते हैं। एलन मस्क पहले भी भारत के मेक इन इंडिया अभियान की तारीफ कर चुके हैं, लेकिन सरकार की आयात नीतियों और कर संरचना को लेकर उनकी कुछ चिंताएं भी रही हैं।
पीएम मोदी की इस मुलाकात से भारतीय टेक्नोलॉजी सेक्टर को नया प्रोत्साहन मिल सकता है और भारत-अमेरिका टेक संबंधों को और मजबूती मिल सकती है।
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